किसानों का कहना है इस बार मौसम ने जल्दी पलटी मार ली। अभी फरवरी माह चल रहा है और धूप में तेजी से गर्मी का असर दिखा रही है, जिससे तापमान बढ़ने से फसल की गुणवत्ता व उत्पादन पर असर पड़ेगा। किसानों का मानना है कि इस बार करीब 15 दिन पहले सरसों की फसल काटी जा रही है। क्योंकि अचानक मौसम परिवर्तन के बाद गर्मी बढ़ने लग गई है। जहां फरवरी माह में सर्दी रहती थी और अब हवा भी तेज चल रही है। देखा जाए तो मार्च के अंत तक सर्दी रहती थी। बस अब सुबह और शाम की ही सर्दी रही है।
यह बोले किसान किसान रमेश पटेल, ईश्वर प्रजापत, सुरेंद्र यादव का कहना है कि इस बार सरसों की फसल निरोगी हुई है। जहां मानसून में एकाएक परिवर्तन के चलते गर्मी फरवरी माह में ही दिखाई दे रही है। जहां मार्च के अंत तक सर्दी रहती थी। जिसके फसल जल्दी पक चुकी है।
सर्दी पड़ती तो दाने होते मोटे किसानों का कहना है कि अगर सर्दी पड़ती तो फसल में मोटे दाने होने थे, लेकिन असमय ही गर्मी के कारण फसल कमजोर है। गर्मी के चलते फली भूरी-भूरी हो गई है, जिससे धूप में फली के चटकने का डर है। इसी आशंका में किसान अपनी फसल को काट रहे हैं। कुछ अगेती सरसों की फसल भी की थी, क्योंकि इस बार बाजरा जल्दी ही किसानों ने निकाल लिया था और अब की बार लगातार बरसात के चलते जमीन में भी नमी रही थी। जिस कारण किसानों ने जल्दी ही अपनी सरसों की फसल की बुवाई कर दी थी, लेकिन अधिक प्रभाव गर्मी का पड़ा है। जहां जल्दी फसल पक गई है।
गेहूं व चने पर भी दिख रहा असर किसानों का कहना है कि तापमान में बढ़ोतरी के कारण सरसों के अलावा गेहूं व चना, जौ की फसल पर भी असर देखा जा रहा है। इन फसलों में सिंचाई की अधिक जरूरत पड़ेगी। साथ ही हवा के चलने व तापमान में तेजी रहने के कारण फसल में पकाव जल्दी आ जाएगा। इससे दाना कमजोर रहने की आशंका। एकाएक पलटे मौसम का फसल की गुणवत्ता व उत्पादन दोनों पर असर डाल रहा है।
मौसम इस बार फसल के अनुकूल नहीं रहा उप निदेशक परियोजना आत्मा के संदीप कुमार शर्मा ने बताया कि मौसम इस बार फसल के अनुकूल नहीं रहा है, जहां सरसों, गेहूं व फसल पर असर पड़ेगा। सरसों की फसल जल्दी ही तापमान बढ़ने से पक गई है। इससे फसल के उत्पादन में भी फर्क पड़ेगा।