कमाण्डेन्ट ने अपने अधिकारियों व जवानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि 62वीं बटालियन अपने 75 शहीद साथियों के सर्वोच्च बलिदान से सदा प्रेरणा लेती रही है। आगे भी इन वीर बलिदानियों (Tribute to Martyrs) का देश के लिए प्राणों का भी त्याग करने में न झिझकने के अदम्य साहसपूर्ण उदाहरण से 62वीं बटालियन के प्रत्येक जवान व अधिकारी प्रेरित होते रहेगें।

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Tribute to Martyrs: आज नक्सलवाद का हो रहा सफाया
कमांडेंट ने बताया कि वर्ष 2010 में घटित यह घटना नक्सलवाद (Tribute to Martyrs) के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर साबित हुई। इन 75 शहीदों के अदम्य साहस व सर्वोच्च बलिदान से प्रेरणा लेकर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल ने अपनी गुरिल्ला युद्ध नीति को नक्सल के गुरिल्ला पैंतरों के हिसाब से बदला। उसी का परिणाम है कि आज नक्सलवाद के पैर न केवल बस्तर बल्कि झारखण्ड, बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, ओडिशा व आंध्रप्रदेश से लगभग उखड़ चुके है। अत: हमारे लिए बड़े गौरव की बात है कि हम इस महान बल एवं बल की सर्वोच्च बलिदानी 62वीं वाहिनी के सदस्य है।