रत्नों की उत्पत्ति से जुड़ी प्राचीन कथा के अनुसार प्राचीन काल में दानव राजा बलि ने देवताओं से स्वर्ग छीन लिया। इस दौरान राजा बलि ने एक यज्ञ किया और देवराज इंद्र के आग्रह पर भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर तीन पग भूमि मांगी। दानवीर बलि ने जब दान का संकल्प ले लिया तो भगवान ने अपना आकार बढ़ाना शुरू किया और दो ही पग में धरती, आकाश और पाताल नाप लिया। जबकि तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना शीश नवा दिया।
भगवान ने वो तीसरा पग बलि के माथे पर रख दिया और उन्हें पाताल में निवास का आदेश दिया। लेकिन भगवान के स्पर्श से राजा बलि का शरीर रत्नमय हो गया। बाद में फिर एक बार ऐसा घटनाक्रम घटा कि इंद्र ने वज्र से राजा बलि का शरीर छिन्न-भिन्न कर दिया। बलि के अंग पृथ्वी पर जहां-जहां गिरे, वहीं से रत्न की उत्पत्ति हुई। मान्यता है कि बलि के अंगों से 21 प्रमुख रत्न उत्पन्न हुए। आइये जानते हैं कौन-कौन रत्न बलि के अंगों से उत्पन्न हुए
बलि से उत्पन्न रत्न की मान्यताएं (Gemstone Origin Story)
1.हीराः राजा बलि के मष्तिष्क खंडों से उत्पन्न11. भीष्मकः राजा बलि के शिरोभाग से 12. मासर मणिः राजा बलि के मलभेद से
नोटः आज के युग में राजा बलि के शव खंडों से रत्नों की उत्पत्ति स्वीकार नहीं किया जा सकती है। माना जाता है कि इनकी उत्पत्ति भौतिक, रासायनिक परिवर्तन और भूगर्भीय संरचना के संयोग से होता है।