पंचांग के अनुसार साल 2025 में दो बार सूर्य ग्रहण लगेगा। पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा और दूसरा सूर्य ग्रहण 22 सितंबर 2025 को लगेगा। खास बात यह है कि साल का पहला सूर्य ग्रह जब 29 मार्च को लगेगा, उसी दिन शनि गोचर भी होगा।
कब लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण 2025 (First Solar Eclipse 2025)
पंचांग के अनुसार साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 (चैत्र माह, कृष्ण पक्ष अमावस्या) को लगेगा। इसकी शुरुआत दोपहर 02:20 बजे होगी और समापन शाम 06:16 बजे होगा। खास बात यह है कि साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं है। इसलिए यहां सूतक काल नहीं लगेगा।
किन देशों में दिखेगा पहला सूर्य ग्रहण 2025 (Kaha Dikhega Surya Grahan)
पंचांग के अनुसार 29 मार्च को लग रहा साल का पहला सूर्य ग्रहण 2025 एशिया, यूरोप, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
सूर्य ग्रहण में क्या न करें (Surya Grahan Mein Kya N kare)
1. सूर्य ग्रहण के दौरान भोजन बनाना और खाना निषिद्ध किया गया है। 2. इस समय मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, पूजा-अर्चना से बचें। 3. घर के बाहर गर्भवती स्त्रियों को जाने से बचना चाहिए। 4. ग्रहण के समय पानी के सेवन से भी बचना चाहिए।
सूर्य ग्रहण में क्या करें (Surya Grahan Mein Kya Kare)
1.सूर्य ग्रहण के समय ऊँ घृणि: सूर्यादित्योम, ऊँ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नम: मंत्र जपना चाहिए। 2. ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके घर की साफ-सफाई करें, गंगाजल का छिड़काव करें। 3. गरीबों में अनाज, वस्त्र, और धन का दान करें। ये भी पढ़ेंः Magh Navratri 2025: डोली पर आएंगी मां जगदंबा रहना होगा सतर्क, जानिए कलश स्थापना का बेस्ट मुहूर्त, पूजा सामग्री और कैलेंडर
दूसरा सूर्य ग्रहण कब लगेगा (Second Surya Grahan 2025)
पंचांग के अनुसार साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 22 सितंबर 2025 को लगेगा। खास बात यह है कि यह सूर्य ग्रहण भी भारत में दृश्य नहीं होगा। इसका अर्थ हुआ इस दिन भी भारत में सूतक नहीं लगेगा। क्योंकि सूतक वहीं लगता है, जहां यह दिखाई दे। हालांकि ज्योतिषीय प्रभाव पड़ते हैं.
सूर्य ग्रहण के दौरान मंत्र जाप (Surya Grahan mantra)
वाराणसी के पुरोहित पं. शिवम तिवारी के अनुसार सूर्य ग्रहण के समय सूर्य मंत्र जप ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। पढ़ें सूर्य ग्रहण मंत्र
जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम।
तमोऽरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम्।