क्या है ये फ्लाइंग बस कॉन्सेप्ट?
यहां फ्लाइंग बस का मतलब सीधे आसमान में उड़ने वाली पारंपरिक बस से नहीं है, बल्कि एक एरियल पॉड सिस्टम से है, जिसे तकनीकी तौर पर पर्सनल रैपिड ट्रांजिट (PRT) कहा जाता है। यह सिस्टम छोटी-छोटी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर आधारित होगा, जो जमीन की बजाय हवा में बने ट्रैक पर दौड़ेंगी। हर पॉड में 2 से 6 लोग बैठ सकते हैं और यह ऑन-डिमांड चलती हैं। यानीं आप ऐप से बुक करेंगे और पॉड सीधे आपको आपके गंतव्य तक बिना किसी स्टॉप के ले जाएगा। इसमें इस्तेमाल होने वाली गाड़ियां ऑटोमेटिक होंगी और मैग्नेटिक टेक्नोलॉजी के जरिए 240 किमी/घंटा की रफ्तार तक चल सकती हैं।
दिल्ली से मानेसर तक पहली झलक?
गडकरी जी ने बताया कि पहला प्रोजेक्ट धौला कुआं से मानेसर के बीच शुरू करने की योजना है, क्योंकि इस रूट पर ट्रैफिक काफी ज्यादा रहता है। इसके अलावा पुणे में भी इस टेक्नोलॉजी की स्टडी की जा रही है। ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए यह एक नया चैप्टर होगा। जहां सड़कों पर नहीं, बल्कि हवा में बसे ‘पॉड ट्रैक’ पर गाड़ियां दौड़ेंगी। इससे न सिर्फ समय बचेगा, बल्कि सड़क पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।
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उड़ती बसों के साथ-साथ मंत्रालय हाई-कैपेसिटी इलेक्ट्रिक बसों पर भी काम कर रहा है। नागपुर में लॉन्च हुई नई 135-सीटर इलेक्ट्रिक बस इसी का उदाहरण है। ये बसें फ्लैश-चार्जिंग टेक्नोलॉजी से लैस होंगी, यानि हर 40 किमी पर स्टॉप लेते वक्त सिर्फ 30 सेकंड में चार्ज भी हो जाएंगी।
इन बसों में एयर होस्टेस की तरह ‘बस होस्टेस’ होंगी, एग्जीक्यूटिव क्लास सीटिंग होगी और हर सीट के सामने टीवी स्क्रीन भी लगे होंगे। इसकी अधिकतम स्पीड 120 किमी/घंटा होगी और किराया डीजल बसों की तुलना में 30% तक कम होगा।
आने वाले समय में इन शहरों में विस्तार
यदि नागपुर मॉडल सफल रहता है तो यह सेवा इन शहरों में शुरू की जाएगी। दिल्ली-जयपुर, दिल्ली-चंडीगढ़, दिल्ली-देहरादून, बेंगलुरु-चेन्नई, मुंबई-नासिक-पुणे। ऑटोमोबाइल सेक्टर में क्या बदलेगा?
यह पूरी योजना भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए ट्रांसपोर्टेशन इनोवेशन का नया दौर साबित हो सकती है। जहां आज की तारीख में हम कार, बस और बाइक के ज़रिए यात्रा करते हैं, वहीं भविष्य में हवा में दौड़ते पॉड और सुपरफास्ट इलेक्ट्रिक बसें इस सेक्टर की तस्वीर बदल सकती हैं। हालांकि, अभी इस पर रिसर्च चल रही है हकीकत में आने में काफी समय है।