परंपरा के तहत मांगी गई थी राय
अयोध्या धाम के ज्योतिषाचार्य प्रवीण शर्मा ने बताया कि मूर्ति स्थापना के लिए हमें कुछ विचार करने की आवश्यकता नहीं है। हां, उनकी प्राण प्रतिष्ठा के दिन जो लग्न की स्थिति होगी, उसे हम स्पष्ट करके ट्रस्ट को शास्त्रीय आज्ञा के अनुसार परामर्श उपलब्ध करा देंगे। अभी परामर्श के लिए अयोध्या से चार लोगों को कहा गया था, लेकिन दो लोग बाहर होने के कारण केवल मैं और आचार्य राकेश तिवारी वहां उपस्थित थे। हमसे जो परामर्श मांगा गया, वह हमने दे दिया है। आगे भी ट्रस्ट की जो सेवा होगी और परामर्श मांगा जाएगा, वह हम देते रहेंगे। लेकिन मैं पुनः स्पष्ट करना चाहता हूं कि ट्रस्ट से जुड़े विद्वान लोग हैं, यहां तक कि स्वयं चंपत जी को भी पर्याप्त ज्ञान है, वह एक विद्वान व्यक्ति हैं। फिर भी, अयोध्या की परंपरा रही है कि ब्राह्मणों और अपने आचार्यों से राय लेना और उसी परंपरा के तहत हमसे राय मांगी गई थी।‘गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त’
ज्योतिषाचार्य प्रवीण शर्मा ने कहा कि गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया स्वयं सिद्ध मुहूर्त हैं। इसके बारे में कोई संशय नहीं है। पिछले वर्ष वाराणसी से आए मुहूर्त पर कुछ विद्वानों और शंकराचार्य भगवान ने प्रश्न उठाए थे, लेकिन ये ऐसे मुहूर्त हैं जिन पर सनातन परंपरा का कोई व्यक्ति प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता। इसलिए हमने सर्वोच्च मुहूर्तों का परामर्श लिया, जिस पर निर्णय ट्रस्ट लेगा। हमारा परामर्श था कि अक्षय तृतीया के दिन से मूर्ति स्थापना शुरू की जाए और प्रतिमाएं अपने स्थान पर स्थापित कर दी जाएं। चूंकि प्राण प्रतिष्ठा एक लंबा कार्यक्रम है, जो कई दिनों तक चलता है, इसे गंगा दशहरा तक ले जाकर कर्मकांड के लोग सुचारु रूप से पूरा कर सकें। गंगा दशहरा को प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य दिवस मनाने का परामर्श भी अयोध्या के ज्योतिषियों का था।प्रयागराज में हिमेश रेशमिया और कुमार विश्वास सजाएंगे होली की महफिल
अक्षय तृतीया का दिन मूर्ति स्थापना के लिए उपयुक्त
ज्योतिषाचार्य ने आगे कहा कि अक्षय तृतीया का पूरा दिन मूर्ति स्थापना के लिए उपयुक्त है, इसमें कोई निषेध या रोक नहीं है। हां, मुहूर्तों के विषय में शास्त्रों में निर्देश है कि अलग-अलग देवी-देवताओं की प्रतिमाएं अलग-अलग लग्नों में स्थापित की जाती हैं। जैसे, जिस लग्न में गणेश जी की मूर्ति स्थापित होगी, उसमें सूर्य या विष्णु की नहीं होगी, देवी की अलग होगी। इसके लिए हम एक सूची ट्रस्ट को उपलब्ध करा देंगे कि कौन से लग्न में किन-किन देवताओं की स्थापना होनी चाहिए। यह ज्योतिष का विषय है, हम केवल समय उपलब्ध कराएंगे, कर्मकांड से जुड़े लोग आगे की प्रक्रिया को पूरा करेंगे। अभी तक हमें स्थापित होने वाले देवताओं की अंतिम सूची नहीं मिली है। लेकिन जो श्रेणियां हैं, उनके आधार पर मुहूर्त के संदर्भ में परामर्श दिया गया है। हम समय उपलब्ध करा देंगे। यह प्रक्रिया अक्षय तृतीया से शुरू होगी।सोर्स: IANS