वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक निशांत घनश्याम चौरसिया के अनुसार, अखिलेश यादव आगामी चुनाव को “करो या मरो” की तरह लड़ने की तैयारी में हैं। लखनऊ से मध्यांचल और सैफई से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों की निगरानी के बाद अब पूर्वांचल में पैठ मजबूत करने के लिए उन्होंने आजमगढ़ को अपना स्थायी राजनीतिक केंद्र बनाया है।
अखिलेश यादव पहले से ही आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, बलिया, बस्ती, संतकबीरनगर और अंबेडकरनगर जैसे जिलों में प्रभावशाली रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भाजपा को कड़ी चुनौती देते हुए कई सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके उलट, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी के बावजूद भाजपा पूर्वांचल के अन्य जिलों में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सकी।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आजमगढ़ में नया आवास स्थापित करके अखिलेश ने भाजपा के गढ़ माने जाने वाले पूर्वांचल में सियासी संतुलन को चुनौती दी है। यह कदम न केवल संगठन को स्थानीय स्तर पर मजबूती देगा, बल्कि कार्यकर्ताओं के मनोबल को भी ऊंचा करेगा।
नया आवास, नई रणनीति
जिला मुख्यालय और मंदुरी हवाई अड्डे से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अनवरगंज में अखिलेश यादव का यह नया कैंप आवास 4374 वर्ग मीटर (करीब 72 बिस्वा) भूमि पर निर्मित है, जिसे 2021 में खरीदा गया था। इस आधुनिक और मॉड्यूलर आवास में दो फ्लोर बनाए गए हैं। ग्राउंड फ्लोर पर ऑफिस और मीटिंग हॉल की व्यवस्था की गई है, जबकि प्रथम तल को रेजिडेंशियल उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। इसके अलावा परिसर में पर्याप्त खुला स्थान भी है, जिससे समय-समय पर छोटी-बड़ी बैठकों या सभाओं का आयोजन भी किया जा सकता है।
राजनीतिक संदेश स्पष्ट
अखिलेश यादव के आजमगढ़ में स्थायी ठिकाने से यह स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि सपा 2027 के विधानसभा चुनाव में पूर्वांचल को निर्णायक भूमिका में लाना चाहती है। यह आवास न केवल एक निवास स्थल है, बल्कि समाजवादी पार्टी की चुनावी रणनीति का मजबूत आधार भी बनने जा रहा है। पूर्वांचल की 117 विधानसभा सीटों पर प्रभाव स्थापित करने की दिशा में यह कदम निर्णायक साबित हो सकता है।