डीएपी नहीं मिला तो एनपीके खाद खरीदना पड़ा किसानों ने बताया कि इस बार सहकारी समितियों में राज्य सरकार की ओर से एनपीके खाद की आपूर्ति पहले भेजी गई। एनपीके खाद भी डीएपी खाद की तरह ही काम करता है। एनपीके डीएपी से महंगा है। डीएपी की किल्लत होने पर किसानों ने एनपीके खाद खरीदकर फसल बुवाई कर दी। एनपीके खाद भी डीएपी का ही काम करता है, लेकिन किसान अभी भी डीएपी को ही ज्यादा महत्व देते हैं।
350 मीट्रिक टन डीएपी खाद पहुंचा शाहपुरा कृषि विस्तार के सहायक निदेशक बाबूलाल यादव ने बताया कि कृभकों से शाहपुरा क्षेत्र में 350 मीट्रिक टन डीएपी खाद की आपूर्ति की है। जिससे क्षेत्र की सहकारी समितियों में डीएपी खाद की गाडि़या पहुंच गई है।
शाहपुरा में गाड़ी आते ही उमड़ पड़े किसान शहर के जयपुर तिराहे स्थित सहकारी समिति के गोदाम पर डीएपी खाद के लिए काफी किसान सुबह से ही बैठे हुए थे। जैसे ही दोपहर बाद 3:30 बजे डीएपी खाद से भरा ट्रेलर पहुंचा तो किसान उमड़ पड़े। किसानों ने गाड़ी से ही डीएपी खाद के कट्टे लेने लग गए। यहां पर करीब 900 कट्टे आए।
इनका कहना है….. – बिजाई के लिए एनपीके खाद पहले ही समितियों में उपलब्ध करवा दिया गया था। यह डीएपी से भी अच्छा काम करता है। कृभकों से 350 मीट्रिक टन डीएपी खाद की आपूर्ति आ गई है। किसानों से सहकारी समितियों में आधार कार्ड के माध्यम से ही खाद व उर्वरक प्राप्त करना चाहिए। खाद-बीज की दुकानों से बीज, उर्वरक व खाद आदि खरीदने पर बिल जरूर लेना चाहिए।बाबूलाल यादव, सहायक निदेशक
कृषि विस्तार कार्यालय शाहपुरा