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फादर्स डे: पिता के संघर्ष ने बेटे को बनाया बड़ा अफसर

रमाकांत दाधीच जयपुर. टोंक जिले के देवली उपखंड के छोटे से गांव कासीर से निकलकर बड़ोदरा में पोस्ट मास्टर जनरल (पीएमजी) जैसे ऊंचे पद तक का सफर तय करने वाले दिनेश कुमार शर्मा की कहानी संघर्ष, समर्पण और एक पिता के अटूट विश्वास की मिसाल है। यह उनके पिता घनश्याम शर्मा के अथक प्रयास और […]

बगरूJun 19, 2025 / 05:16 pm

Ramakant dadhich

परिवार के साथ दिनेश शर्मा।

परिवार के साथ दिनेश शर्मा।

रमाकांत दाधीच

जयपुर. टोंक जिले के देवली उपखंड के छोटे से गांव कासीर से निकलकर बड़ोदरा में पोस्ट मास्टर जनरल (पीएमजी) जैसे ऊंचे पद तक का सफर तय करने वाले दिनेश कुमार शर्मा की कहानी संघर्ष, समर्पण और एक पिता के अटूट विश्वास की मिसाल है। यह उनके पिता घनश्याम शर्मा के अथक प्रयास और त्याग की भी गाथा है, जिन्होंने घोर अभावों में भी अपने बेटे को शिक्षित और काबिल बनाने का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना किया। कासीर गांव में दिनेश का बचपन अभावों के बीच बीता। दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना भी अक्सर मुश्किल हो जाता था। लेकिन इन सबके बावजूद दिनेश के पिता ने शिक्षा के महत्व को समझा। उनके पास धन नहीं था, लेकिन अपने बेटे को बेहतर भविष्य देने का दृढ़ संकल्प था। वे दिन-रात कड़ी मेहनत करते, कभी पंडिताई तो कभी दूसरों के यहां चूरमा-बाटी की रसोई बनाने जाते, ताकि वह अपनी पढ़ाई जारी रख सके।

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पंडिताई था आय का जरिया

दिनेश ने बताया कि पिता घनश्याम शर्मा के पास आजीविका का कोई बड़ा जरिया नहीं था। सिर्फ पंडिताई व दूसरों के यहां चूरमा-बाटी की रसोई बनाने से होने वाली आय से ही उनके परिवार का जीवन यापन हो रहा था। दिनेश ने आठवीं कक्षा तक की पढ़ाई कासीर से ही की, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए आ​र्थिक संकट आड़े आ गया, आ​खिर पिता ने उन्हें ननिहाल डिग्गी गांव भेज दिया। 9वीं से 12वीं तक की पढ़ाई डिग्गी से की, जहां 1996 में दिनेश ने राज्यस्तरीय बोर्ड सूची में चौथा स्थान हासिल किया। इसके बाद लोगों ने उन्हें बीएसटीसी करने की सलाह देकर जल्द नौकरी हासिल कर परिवार की आ​​र्थिक​िस्थति सुदृढ़ करने की बात कही, लेकिन पिता घनश्याम ने इनकार कर दिया तथा बेटे को आगे पढ़ने के लिए जयपुर भेजा, ताकि वो आगे की पढ़ाई कर अफसर बन सके।
पिता की हर मुश्किल, हर चुनौती ने उन्हें मजबूत बनाया

अपने पिता के त्याग को दिनेश ने कभी व्यर्थ नहीं जाने दिया। उन्होंने हर परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनके पिता के सामने आई हर मुश्किल, हर चुनौती ने उन्हें और मजबूत बनाया। जयपुर के राजस्थान विवि से अंग्रेजी में एमए के करने के बाद दिनेश ने जयपुर से ही ​शिक्षा शास्त्री की, जिसके बाद उन्होंने दिल्ली सरकार में सैकंड ग्रेड ​शिक्षक की नौकरी हासिल की। वहीं रहकर उन्होंने आईएएस की तैयारी की और दूसरे प्रयास में ही वर्ष 2003 में उनका चयन भारतीय डाक सेवा के लिए हो गया। उनके चयन की सूचना ज्योंही पिता तक पहुंची तो उन्होंने कहा कि आज मेरी तपस्या पूरी हुई।
मेरे असली नायक मेरे पिता

दिनेश वड़ोदरा क्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल जैसे एक उच्च पद पर आसीन हैं, तो वे अपने पिता के संघर्ष को कभी नहीं भूलते। उन्होंने कहा आज मैं जो कुछ भी हूं, अपने पिता की वजह से हूं। उन्होंने मुझे सिर्फ शिक्षा ही नहीं दी, बल्कि मुझे संघर्ष करना और कभी हार न मानना सिखाया। फादर्स डे पर इतना कहना चाहता हूं कि मेरे असली नायक मेरे पिता हैं।

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