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बालाघाट

जिसके लिए छोड़ा पैतृक गांव उसी ने उतारा मौत के घाट

बालाघाट. जिस इकलौते पुत्र के लिए शिक्षक दंपती ने पैतृक गांव छोड़ा, वहीं उनकी जान का दुश्मन बन गया। उसके हमले से घायल मां की उपचार के दौरान मौत हो गई, जिसका अंतिम संस्कार पैतृक ग्राम डोके में किया गया। उनके अंतिम संस्कार में पूरा गांव उमड़ा। हर किसी के आंखो से आंसू निकल रहे […]

बालाघाटMar 06, 2025 / 07:01 pm

akhilesh thakur

ग्राम डोके में शिक्षिका का हुआ अंतिम संस्कार - गांव में गम का माहौल, हर किसी की भर आई आंख जीवित अवस्था में पति के साथ मृत शिक्षिका प्रतिभा।

ग्राम डोके में शिक्षिका का हुआ अंतिम संस्कार
– गांव में गम का माहौल, हर किसी की भर आई आंख
जीवित अवस्था में पति के साथ मृत शिक्षिका प्रतिभा।

बालाघाट. जिस इकलौते पुत्र के लिए शिक्षक दंपती ने पैतृक गांव छोड़ा, वहीं उनकी जान का दुश्मन बन गया। उसके हमले से घायल मां की उपचार के दौरान मौत हो गई, जिसका अंतिम संस्कार पैतृक ग्राम डोके में किया गया। उनके अंतिम संस्कार में पूरा गांव उमड़ा। हर किसी के आंखो से आंसू निकल रहे थे। पूरे गांव में गम का माहौल है।
ग्रामीणों ने बताया कि शिक्षक दंपती ने इकलौते पुत्र की पढ़ाई के लिए पैतृक गांव छोड़ कर ग्राम पंचायत सिंकद्रा के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में मकान बनाया। दोनों ने उसके पालन-पोषण व पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। दोनों शिक्षक की नौकरी करते हुए पुत्र पर पूरा ध्यान दिया। पुत्र भी मेधावी निकला। माता-पिता से उसके संबंध भी अच्छे थे। नीट की तैयारी के लिए पुत्र कोटा गया और वहां से छह माह रहकर वह लौटा तो उसका व्यवहार बदल गया। उसने घर पर दिन-रात मोबाइल देखनी शुरू कर दी। इसको लेकर माता-पिता ने टोकना शुरू कर दिया। पिता ने एक बार उसके मोबाइल से सिम भी निकाल दिया था। उसको पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कही थी।
इसको लेकर दोनों के बीच कई बार बहस हो चुकी थी। यही आरोपी को नागवार गुजरा और मासूम दिखने वाला सत्यम मां-बाप के जान का दुश्मन बन गया। शिक्षक दंपती के इकलौते पुत्र के मासूम चेहरे को देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वह इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है। रिश्तेदारों के बीच भी वह पढ़ाई में होशियार बच्चे के रूप में अपनी पहचान बनाया था।
मेरे कैरियर में मोबाइल एडिक्शन से बड़े अपराध की पहली घटना एसडीओपी अभिषेक चौधरी ने ‘पत्रिकाÓ को बताया कि ज्यादा फोन इस्तेमाल करना मोबाइल एडिक्शन है। यह एक तरह की लत है, जिससे कई तरह की मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती है। इसका लत जिसको लग जाता है वह दिनभर मोबाइल से चिपका रहता है। उससे दूर होने पर बेचैनी होने लगती है। इससे चिंता, अवसाद, अनिंद्रा जैसी मानसिक समस्याएं होती है। रिश्तों में तनाव, पढ़ाई में व्यवधान, काम पर प्रदर्शन में कमी व हादसों का खतरा बना रहता है।
बताया कि मोबाइल एडिक्शन से बचने के लिए खुद पर कंट्रोल करना चाहिए। घर से बाहर निकलकर दोस्ती करनी चाहिए। अलग-अलग कार्य में व्यस्त रखना चाहिए। नियमित रूप से मेडिटेशन शुरू करना चाहिए। जरूरत पर ही मोबाइल का उपयोग करना चाहिए। सबसे अहम परिजनों को बच्चों से दोस्ती करनी चाहिए। उनके व्यवहार बदले तो विशेषज्ञ से मिलकर परामर्श लेना चाहिए। एसडीओपी ने बताया कि मेरे अब तक कैरियर में मोबाइल एडिक्शन से बड़े अपराध की यह पहली घटना है।
रिश्तेदारों ने बताया कि ऐसे किया हमला

वारासिवनी. घटना के दिन पिता ने पुत्र का मोबाईल चलाने से मना किया। इस पर दोनों में बहस शुरू हो गई। इससे वह अत्यंत आवेश में आ गया। लोहे का सब्बल लेकर पिता किशोर कटरे पर वार किया, जिससे बचने के लिए लेकिन वह भागकर किचन (रसोईघर) में गए। इसबीच मां प्रतिभा पति को बचाने बीच में आ गई। आक्रोशित सत्यम ने मां के सिर पर जोरदार हमला कर दिया। इसके बाद किचन में जाकर पिता के सिर पर वार कर दिया। इससे दोनों गंभीर रूप से घायल होकर जमीन पर गिर तड़पने लगे। इसके बाद सत्यम ने इसकी सूचना रिश्तेदार व डायल-100 को दी थी।
गोंदिया में उपचार के दौरान शिक्षिका प्रतिभा की मौत मंगलवार की देर शाम हो गई थी। उनके शव का अंतिम पोस्टमार्टम बुधवार को शासकीय अस्पताल वारासिवनी में किया गया। इसके बाद परिजनों ने उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव डोके में किया।

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