ताला ठाकरे के अनुसार समूह से जुडऩे के पूर्व उनकी स्थिति इतनी सक्षम नहीं थी कि अपने परिवार का भरण पोषण अच्छे से कर सके। इनका परिवार कृषि मजदूरी पर निर्भर था। पति दुकान में कार्य करते थे। परिवार में 05 सदस्य है। समूह से जुडऩे के बाद प्रशिक्षण एवं गांव से बाहर आने-जाने एवं मिशन आदि से जानकारियां प्राप्त होने से सोच में परिवर्तन हुआ। तारा ने प्रथम ऋण सीसीएल 50 हजार लेकर अपना कपड़ा व्यसवसाय का कार्य स्वयं प्रारंभ किया था।
तारा ठाकरे के अनुसार उन्होंने समूह से 50 हजार रुपए ऋण लेकर स्वयं का कपड़ा व्यववसाय प्रारंभ किया। हिम्मात व आत्म विश्वास बढ़ा एवं प्रथम ऋण चुकाकर पुन: समूह को सीसीएल का दिृतीय ऋण प्राप्त होने पर 1 लाख रुपए लिए। कपड़ा व्यवसाय में वृद्धि कर दुकान में मनिहारी का सामान भी रखना प्रारंभ किया। आमदानी बढऩे लगी और इस व्यवसाय से पूरा खर्च निकालने के बाद 6000 से 7000 रुपए मासिक आय प्राप्त होने लगी है।
तारा के अनुसार समूह से जुडऩे के बाद आए परिवर्तन और बढ़े आत्म विश्वास से अन्य समूह की दीदीयों के जीवन में परिवर्तन लाने एवं रोजगार दिलाने के उद्देश्य से प्रयास किए जा रहे हैं। ग्राम में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया। स्वयं में आए व्यवहारिक परिवर्तन और सामाजिक परिवर्तन की समझ को ग्राम में समूह की दीदीयों के साथ साझा किया। इस प्रकार तारा ठाकरे अब लखपाति की श्रेणी में आती है।
फैक्ट फाइल-
कपड़ा 25000 55000 11000 44000
मनिहारी 50000 85000 19000 66000
कुल 75000 140000 30000 110000 वर्सन
समूह जुडकऱ तारा और ममता जैसी कई दीदीयां आज स्वयं का रोजगार स्थापित कर लखपति बन गई है। कामकाजी अन्य महिलाएं भी इनसे प्रेरणा लेकर आगे बढ़ रही है। अन्य महिलाएं भी समूह से जुडकऱ अपना रोजगार स्थापित कर सकती है। इसमें हमारी ओर से सभी तरह का मार्गदर्शन और मदद की जाती है।
मुकेश बिसेन, जिला प्रबंधक लघु उद्यमिता विकास बालाघाट