इसके बाद अजय तिवारी गायब हो गए। परिजनों ने सुखपुरा थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने मामले की तहकीकात करनी शुरू की। 12 मई 2025 यानी सोमवार को अजय तिवारी स्वयं एसपी ऑफिस पहुंच गए।
कहां थे अजय तिवारी ?
यह घटना वास्तव में अपहरण नहीं थी, बल्कि वो स्वेच्छा से घर से चले गए थे। अजय कुमार तिवारी ने बताया कि 30 अप्रैल को उनके पुत्र महामृत्युंजय तिवारी और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हुई मारपीट की घटना से वे काफी आहत थे। इसी मानसिक तनाव के कारण, तीन मई की रात एक से दो बजे के बीच उन्होंने अपनी पत्नी को सूचित कर घर छोड़ दिया।
बक्सर से पहुंचे बालियां
वे पैदल ही खेतों के रास्ते बरवां से बलिया, फिर गंगा नदी के किनारे होते हुए जमनिया-चंदौली बॉर्डर तक पहुंच गए। 11 मई को उन्हें यह सोचकर चिंता हुई कि परिवारवाले बहुत परेशान हो रहे होंगे, इसलिए उन्होंने जमनिया से ट्रेन पकड़ी और बक्सर लौटे। वहां से ऑटो लेकर बलिया पहुंचे। परिजनों ने दी मुकदमे की जानकारी
बलिया पहुंचने के बाद उन्होंने नारायणपाली सहित कई परिचितों से मुलाकात की। उन्हीं में से कुछ ने उन्हें बताया कि उनके परिजनों ने उनके अपहरण की आशंका में मुकदमा दर्ज कराया है। यह जानकर वे सीधे एसपी कार्यालय पहुंचे।