Justice Sanjiv Khanna: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) संजीव खन्ना ने मंगलवार को अपने रिटायरमेंट के दिन साफ किया कि वह सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी या अन्य पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि वह कानूनी क्षेत्र से जुड़ा कोई काम करेंगे, जिससे वह न्याय और कानून के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रख सकें। जस्टिस खन्ना ने अपने कार्यकाल की यादों को “सुंदर स्मृतियां” बताते हुए कहा कि ये उनके जीवनभर साथ रहेंगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि एक वकील हमेशा वकील रहता है, और वह कानून के क्षेत्र में योगदान देना जारी रख सकते हैं।
जस्टिस संजीव खन्ना अपने फेयरवेल स्पीच के दौरान भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मैंने 50 सालों में कई विदाई समारोहों में हिस्सा लिया है लेकिन आज में बहुत खुश हूं। उन्होंने आगे कहा कि मैं खुद को धन्य समझता हूं कि मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त होने का गौरव प्राप्त किया।
मां नहीं चाहती थीं कि मैं वकील बनूं
उन्होंने कहा कि मेरी मां लेडी श्रीराम कॉलेज में प्रोफेसर थीं। वे कभी नहीं चाहती थीं कि मैं वकील बनूं। संजीव खन्ना ने कहा कि एक वकील के रूप में मुझे अपना खुद का चैंबर पाने में 17 साल लग गए।
मैं तीसरी पारी खेलूंगा
जस्टिस खन्ना ने कहा कि आज भी मुझे याद है जब मैंने अपने पिता को एक सिविल जज के रूप करियर की शुरुआत करते हुए देखा था और बाद में वे दिल्ली हाई कोर्ट के जज बने। उन्होंने कहा कि मैं तीसरी पारी भी खेलूंगा और कानून से संबंधित कुछ काम करूंगा।
75 से 100 मामलों की करनी पड़ी सुनवाई
संजीव खन्ना ने कहा कि साल 2000 से 2005 तक का समय मेरे लिए चुनौतीपूर्ण रहा। मैंने समझा कि एक जज का जीवन कितना कठिन होता है। इसमें ऐसे भी दिन आए जब हमें कम समय में 75 से 100 मामलों की सुनवाई करनी पड़ी।
जस्टिस संजीव खन्ना के बाद भारत के अगले चीफ जस्टिस (CJI) जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बी. आर. गवई) होंगे। जस्टिस गवई 14 मई 2025 से भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेंगे और उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक का होगा।
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