CG News: गांव का ऐतिहासिक तालाब बर्बादी की कगार पर
लवन का ऐतिहासिक तालाब उपेक्षा और गंदगी की मार झेल रहा है। यह पूरी जलकुंभी और कचरे से अट चुका है। रखरखाव नाम की वीज नहीं, सफाई का भी पूरी तरह से अभाव है। इस तालाब के
सौंदर्यीकरण के लिए राज्य सरकार ने 2020 में 1.93 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी थी। काम की जिम्मेदारी ठेकेदार जितेंद्र केशरवानी को सौंपी गई थी। ठेकेदार ने केवल 60 लाख रुपए का काम किया, फिर सौंदर्यीकरण और गहरीकरण अधूरा छोड़कर चला गया।
कॉन्क्रीट के निर्माण के बाद से तालाब की स्थिति और भी बद्तर होती गई। नगर के लोग बताते हैं कि यह तालाब उनकी निस्तारी का मुख्य साधन था। उपेक्षा और गंदगी के कारण अब बहुत कम लोग यहां नहाने या निस्तारी के लिए आते हैं। हालात ये है कि रहवासी एक किलोमीटर दूर सईहा और मनीमन तालाब में जाकर निस्तारी को मजबूर हैं।
बूढ़ा तालाब में चारों ओर जलकुंभी, पॉलीथिन, कचरे के ढेर और बदबू का आलम हुआ है। कुछ घाटों को छोड़ दें, तो बाकी इलाकों के आसपास जाना भी मुश्किल हो गया है। लोगों का कहना है कि नगर पंचायत के जनप्रतिनिधियों की लचर व्यवस्था और लापरवाही की वजह से गांव का ऐतिहासिक तालाब बर्बादी की कगार पर है।
ठेकेदार की जवाबदेही तय करने की मांग की
पूरे मामले में गांव के लोगों ने सरकार के अमृत सरोवर योजना पर सवाल उठाए हैं कि इसके तहत गांवों में जहां नए तालाब खोदे जा रहे हैं, वहीं लवन में बने-बनाए तालाब की बर्बादी पर सब मौन हैं। बूढ़ातालाब की दिन ब दिन बदहाल होती स्थिति ने नगर के लोगों को आक्रोशित कर दिया है। लोगों की मांग है कि तालाब की पूरी सफाई करवाते हुए सौंदर्यीकरण का काम भी तुरंत पूरा किया जाए। ठेकेदार की जवाबदेही तय की जाए। सभी अधूरे काम जल्द पूरे कराए जाएं। यह तालाब पूरी तरह साफ और संरक्षित हो, तो नगर के लिए सुंदर निस्तारी स्थल के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक बनेगा। तालाब को मछली पालन के लिए स्व सहायता समूह को लीज पर दिया गया है। समूह ने तालाब की बदहाली को देखते हुए मजबूरी में केवल निस्तारी क्षेत्र में बांस का घेरा डालने जैसी तात्कालिक व्यवस्था की गई है।
CG News: हवा-पानी के दबाव से जलकुंभी फिर से निस्तारी इलाके में भर जाती है। पूरे तालाब की स्थिति ऐसी है कि इसे देखकर कोई भी खेल का मैदान समझ सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कभी-कभार नाम मात्र की सफाई होती है। फिर महीनों तक तालाब की सुध नहीं ली जाती। अधिकारी और जनप्रतिनिधि इसे देखने तक नहीं आते। यही वजह है कि बरसात के दिनों में भी तालाब में दूर-दूर तक पानी नजर नहीं आ रहा है।
प्रणव प्रवेश प्रधान, सीएमओ, नगर पंचायत लवन: तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए 1.93 करोड़ की मंजूरी मिली थी। ब्यूटीफिकेशन के लिए जितेंद्र केसरवानी और बिलासपुर के अग्रवाल टाईल्स एंड सेनेटरी को गहरीकरण का ठेका दिया था। 60 लाख का भुगतान हो चुका है। वर्तमान में तालाब को
मछली पालन के लिए स्व सहायता समूह को लीज पर दिया है।
शिवमंगल सिंह चौहान, अध्यक्ष, नगर पंचायत लवन: बूढ़ातालाब के सौंदर्यीकरण के लिए मै शुरू से प्रयासरत हूं। मेरी ओर से इस तालाब की साफ-सफाई के लिए पूरी कोशिश जारी है। फिलहाल मैं पारिवारिक काम की वजह से बाहर गया हूं। वापस लौटने के बाद आपसे चर्चा करता हूं।