प्रसव के बाद रोजम्मा घर लौटी, लेकिन सिजेरियन टांकों वाली जगह पर उसे दर्द महसूस हुआ। उसे उल्टी और दस्त की भी गंभीर समस्या थी। घाव वाली जगह पर संक्रमण हो गया था। उसे मंगलवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन, देर शाम उसकी मौत हो गई।रोजम्मा के पति वेंकटेश और बहन शारदाम्मा ने आरोप लगाया है कि अपर्याप्त उपचार के कारण रोजम्मा की मौत हुई।
शेष चार मौतें रायचूर जिले के सिंधनूर तालुक सरकारी अस्पताल से जुड़ी हैं। मृतकों की पहचान चंद्रकला (26), रेणुकम्मा (32), मौसमी मंडल (22) और चन्नम्मा (25) के रूप में हुई है। जिन 300 गर्भवती महिलाओं ने बच्चे को जन्म दिया, उनमें से सात की हालत गंभीर हो गई थीं। इनमें से चार को बचाया नहीं जा सका। सभी की सिजेरियन सर्जरी हुई थी।चन्नम्मा ने 21 अक्टूबर को सी-सेक्शन के बाद बच्चे को जन्म दिया और नौ दिनों के बाद उसकी मृत्यु हो गई। मौसमी मंडल ने 22 अक्टूबर को एक बच्चे को जन्म दिया और अगले दिन उसकी मृत्यु हो गई। रेणुकम्मा ने 31 अक्टूबर को बच्चे को जन्म दिया और अगले दिन उसकी मृत्यु हो गई।
मृतकों के परिजनों ने मुआवजे की मांग करते हुए चेताया कि अगर इनकार किया गया, तो वे बेलगावी में सुवर्ण विधान सौधा के सामने नवजात शिशुओं के साथ विरोध प्रदर्शन करेंगे।रायचूर के डिप्टी कमिश्नर के. नीतीश ने कहा, मातृ मृत्यु अलग-अलग कारणों से हुई। नसों में आइवी फ्लूइड दिए जाने के कारण अगर मौतें हुई हैं, तो एक सप्ताह में इसका पता चल जाएगा। इस संबंध में रिपोर्ट आने के बाद सरकार उचित कदम उठाएगी।
उन्होंने बताया कि सिंधनूर तालुक अस्पताल में हर महीने 300 प्रसव होते हैं। अक्टूबर में मातृ मृत्यु के चार मामले सामने आए थे। आइवी फ्लूइड के कारण मातृ मृत्यु के मामले नवंबर में सामने आए। उस बैच के आइवी फ्लूइड को जांच के लिए भेजा गया है। चारों मृतकों को पश्चिम बंगाल की कंपनी का रिंगर लैक्टेटRinger Lactate इंट्रावेनस फ्लूइड का 0113 बैच दिया गया था और कंपनी की दवाओं का इस्तेमाल बंद कर दिया गया है।