यह विधेयक, जो गिग वर्कर्स के अधिकारों पर जोर देता है, प्रत्येक लेनदेन के दौरान कार्यकर्ता को भुगतान का 1त्न-5त्न कल्याण शुल्क प्रस्तावित करता है। प्राप्त की गई ऐसी सभी राशियाँ श्रमिकों के कल्याण कोष में जाएँगी। प्लेटफॉर्म द्वारा श्रमिकों का पंजीकरण, कल्याण शुल्क संग्रह और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए गिग वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड की स्थापना की जाएगी।
एग्रीगेटर्स को अधिनियम के लागू होने के 45 दिनों के भीतर बोर्ड को सभी गिग वर्कर्स का डेटाबेस प्रस्तुत करना अनिवार्य किया गया है। निगरानी तंत्र बिल में कल्याण शुल्क के संग्रह में पारदर्शिता लाने के लिए भुगतान और कल्याण शुल्क सत्यापन प्रणाली शुरू करने का भी प्रस्ताव है।
श्रमिकों को किया गया प्रत्येक भुगतान और एग्रीगेटर्स द्वारा काटे गए कल्याण शुल्क को सिस्टम में भेजा जाएगा। बिल में कहा गया है, “गिग वर्कर्स के स्तर पर एकत्रित और खर्च किए गए कल्याण शुल्क का विवरण प्रकट किया जाएगा और कल्याण शुल्क सत्यापन प्रणाली पर उपलब्ध कराया जाएगा।
निष्पक्ष अनुबंध, 14 दिन का नोटिस
किसी भी कर्मचारी को लिखित में वैध कारण और 14 दिन की पूर्व सूचना के बिना नौकरी से नहीं निकाला जा सकता, सिवाय उन मामलों को छोडक़र जहां गिग वर्कर ने शारीरिक नुकसान पहुंचाया हो। यह विधेयक प्लेटफॉर्म पर कर्मचारियों के साथ पारदर्शी और निष्पक्ष अनुबंध करने का दायित्व भी डालता है और स्वचालित निगरानी और निर्णय लेने की प्रणाली के संबंध में पारदर्शिता की आवश्यकता पर जोर देता है।
काम करने की स्थिति और शिकायत निवारण
प्लेटफॉर्म को ऐसा कार्य वातावरण प्रदान करना आवश्यक है जो सुरक्षित हो और कर्मचारी के स्वास्थ्य के लिए जोखिम रहित हो और यह सुनिश्चित करना है कि कर्मचारी को पर्याप्त आराम मिले और उसे सैनिटरी और आराम की सुविधाएँ उपलब्ध हों। इस विधेयक में दो-स्तरीय शिकायत निवारण तंत्र भी पेश किया गया है, जिसमें कर्मचारी को पहले आंतरिक विवाद समाधान समिति से संपर्क करना आवश्यक है। यदि समिति 14 दिनों में ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ प्रदान करने में विफल रहती है या कर्मचारी असंतुष्ट है, तो शिकायत बोर्ड को भेज दी जाएगी।
यूनियनों ने विधेयक की सराहना की
कई गिग वर्कर्स यूनियनों ने विधेयक का स्वागत किया और अन्य राज्य सरकारों से इसी तरह के कानून बनाकर कर्नाटक के उदाहरण का अनुसरण करने का आह्वान किया। कर्नाटक ऐप-बेस्ड वर्कर्स यूनियन के संस्थापक-अध्यक्ष मोहम्मद इनायत अली ने कहा कि राज्य ने प्लेटफॉर्म-आधारित वर्कर्स के लिए न्याय और सम्मान की दिशा में एक प्रगतिशील कदम उठाकर रास्ता दिखाया है।