हुब्बल्ली में रविवार को होरट्टी ने पत्रकारों से बातचीत में होरट्टी ने परिषद में बहस की गुणवत्ता में गिरावट पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि वे विधान परिषद में बहस के गिरते स्तर से परेशान होकर अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि विधान परिषद को चिंतकर चावडी यानी चिंतन करने वाले लोगों की पंचायत कहा जाता है। लेकिन अब सदन में पार्षद एक-दूसरे को सम्मान नहीं दे रहे है। दलगत राजनीति के कारण सदन में अब पहले जैसी किसी विषय को लेकर गंभीर बहस नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा यह बुरा समय है। विधान परिषद और विधानसभा में बहस की गुणवत्ता गिर रही है। यहां तक कि सदस्यों का सामान्य व्यवहार भी बिगड़ रहा है। सत्र में हनी ट्रैप जैसे मुद्दे सामने आना हमारी बहस की गुणवत्ता को दर्शाता है। मुझे नहीं पता कि मुझे ऐसे सदन में होना चाहिए या इसकी अध्यक्षता करनी चाहिए। मैं चार दशकों से अधिक समय से विधान परिषद का सदस्य हूं। लेकिन अब मैं इस्तीफा देने पर विचार कर रहा हूं।
उन्होंने कहा, राजनीति बहुत निचले स्तर पर पहुंच रही है। विधानमंडल के सदस्य अवज्ञाकारी हैं और अध्यक्ष के निर्देशों का पालन नहीं करते। इसने मुझे आत्मचिंतन करने पर मजबूर कर दिया है। मैं अपने शुभचिंतकों से सलाह लेने के बाद कोई निर्णय लूंगा। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस्तीफे के मुद्दे पर कुछ तकनीकी मुद्दे हैं। एक बार जब वे सुलझ जाएंगे, तो मैं इस पर फैसला लूंगा। इस बीच, होरट्टी का बिना हस्ताक्षर वाला त्यागपत्र सोशल मीडिया पर वायरल रहा, जिसमें एक अप्रेल से पद छोड़ने की बात कही गई है। हालांकि, होरट्टी ने बाद में कहा कि उन्होंने टाइपिस्ट से इस्तीफा टाइप कराया था मगर उस पर हस्ताक्षर नहीं किया था।