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फर्जी दस्तावेजों से गोमांस तस्कर ने कराई जमानत, कोर्ट में खुलासा, तहसील व पुलिस के अफसरों के भी फर्जी हस्ताक्षर

फर्जी दस्तावेजों के सहारे गोमांस तस्कर कुंजी पुत्र बल्लाह की जमानत का पर्दाफाश हो गया है। तहसील और पुलिस विभाग के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उसकी जमानत कराई गई थी। मामला तब खुला, जब आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुआ और जमानतदारों को तलब किया गया। जमानतदारों ने कोर्ट में पेश होकर शपथ पत्र दिया कि उन्होंने जमानत नहीं ली, बल्कि उनके नामों का फर्जी इस्तेमाल किया गया। इसके बाद मामला गंभीर हो गया और जिला जज के आदेश पर कोतवाली में केस दर्ज कराया गया है।

बरेलीFeb 09, 2025 / 09:02 pm

Avanish Pandey

बरेली। फर्जी दस्तावेजों के सहारे गोमांस तस्कर कुंजी पुत्र बल्लाह की जमानत का पर्दाफाश हो गया है। तहसील और पुलिस विभाग के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर उसकी जमानत कराई गई थी। मामला तब खुला, जब आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुआ और जमानतदारों को तलब किया गया। जमानतदारों ने कोर्ट में पेश होकर शपथ पत्र दिया कि उन्होंने जमानत नहीं ली, बल्कि उनके नामों का फर्जी इस्तेमाल किया गया। इसके बाद मामला गंभीर हो गया और जिला जज के आदेश पर कोतवाली में केस दर्ज कराया गया है।

गोकशी के मामले में गिरफ्तार हुआ था कुंजी, जमानत के बाद गायब

अक्टूबर 2023 में हाफिजगंज थाना क्षेत्र में गोकशी के मामले में कुंजी पुत्र बल्लाह को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। कुछ समय बाद उसकी जमानत हो गई, लेकिन फिर वह कोर्ट में पेश होना बंद कर दिया। एडीजे-3 कोर्ट के लिपिक विजय कुमार ने इस संबंध में जिला जज को सूचना दी।

नोटिस पर पहुंचे जमानतदार, कोर्ट में खोला फर्जीवाड़े का राज

जिला जज ने कुंजी की जमानत देने वाले दो सगे भाइयों, सगीर अहमद और शकील अहमद (निवासी मथुरापुर, सीबीगंज) को नोटिस भेजकर 16 जनवरी को तलब किया। दोनों भाई कोर्ट पहुंचे और शपथ पत्र देकर बताया कि उन्होंने कुंजी की जमानत नहीं ली, बल्कि किसी ने उनके नाम और दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल किया।

फर्जी पुलिस अफसर, फर्जी तहसीलदार और जाली दस्तावेजों का जाल

जमानत में इस्तेमाल किए गए दस्तावेजों की जांच में बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ

जमानतदारों के सत्यापन की रिपोर्ट सीबीगंज पुलिस के दरोगा वीरेंद्र पाल सिंह के नाम से थी, लेकिन ऐसा कोई दरोगा वहां तैनात नहीं रहा। तहसील की रिपोर्ट में लेखपाल गोपाल प्रसाद और आरआई अवधेश कुमार द्वारा सत्यापन दिखाया गया, लेकिन ये दोनों भी वहां कार्यरत नहीं थे। तहसीलदार सदर ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट पर उनके भी फर्जी हस्ताक्षर बनाए गए थे।

कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज, पुलिस जांच में जुटी

जब यह फर्जीवाड़ा पूरी तरह सामने आया, तो एडीजे-8 कोर्ट के रीडर अरविंद गौतम ने कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि इस गिरोह में कौन-कौन शामिल हैं और किसने दस्तावेज तैयार कराए।

फर्जी जमानत रैकेट का पर्दाफाश

पुलिस को शक है कि यह कोई व्यापक जमानत रैकेट हो सकता है, जो अपराधियों को बचाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करता है। अब जांच के बाद ही साफ हो पाएगा कि इस फर्जीवाड़े में और कौन-कौन शामिल हैं।

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