पुरानी पहचान बनी ब्लैकमेलिंग की वजह
वाराणसी के शिवाजीनगर निवासी जेई प्रमोद कुमार ने दिसंबर 2024 में लंका थाने में श्वेता के खिलाफ धोखाधड़ी, ब्लैकमेलिंग, मारपीट और रंगदारी मांगने सहित विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया। प्रमोद ने बताया कि 2015 में वे और श्वेता नोएडा स्थित एक निजी कंपनी में कार्यरत थे, जहां से दोनों की जान-पहचान हुई। बाद में श्वेता सरकारी नौकरी की तैयारी के लिए मेरठ चली गई और लगातार आर्थिक मदद मांगती रही।
मारपीट और रंगदारी की घटना
प्रमोद कुमार के अनुसार, दो जुलाई 2023 को श्वेता, उसका भाई आकाश, चचेरा भाई शिवचरन, दोस्त वीपी सिंह और मौसा वनस सिंह उनके पास पहुंचे और मारपीट कर 20 लाख रुपये की मांग की। धमकी देकर जबरन 50 हजार रुपये ले लिए और कहा कि यदि पैसे नहीं मिले तो झूठे मुकदमे में फंसा देंगे।
गिरफ्तारी के बाद निलंबन
मुकदमा दर्ज होने के बाद श्वेता फरार हो गई थी, लेकिन 10 फरवरी को लंका पुलिस ने उसे बिजनौर से गिरफ्तार कर लिया और 11 फरवरी को वाराणसी जेल भेज दिया। जांच अधिकारी अपराजित सिंह चौहान ने इस गिरफ्तारी की सूचना बेसिक शिक्षा अधिकारी बरेली को दी, जिसके बाद श्वेता को निलंबित कर दिया गया।
2018 में हुई थी जान पहचान
प्रमोद कुमार ने बताया कि 2018 में श्वेता की पहली पोस्टिंग चंदौली में हुई थी, जिसमें उन्होंने कार की व्यवस्था करवाई थी। कोविड के दौरान श्वेता की बीमारी पर पांच लाख रुपये खर्च किए और उसके लिए साढ़े सात लाख रुपये की कार खरीदी। इसके बावजूद श्वेता ने उन्हें ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे 35 लाख रुपये ऐंठ लिए।
स्कूल से भी गायब थी शिक्षिका
मीरगंज ब्लॉक के हुरहुरी प्राथमिक विद्यालय में तैनात श्वेता कई दिनों से स्कूल नहीं आ रही थी और उसने विभाग को कोई सूचना भी नहीं दी। इस पर संज्ञान लेते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी बरेली ने उसे निलंबित कर दिया। बयान: “मीरगंज ब्लॉक के हुरहुरी प्राथमिक विद्यालय की शिक्षिका श्वेता को वाराणसी पुलिस ने धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा है। उसे निलंबित कर दिया गया है।”
संजय सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी, बरेली