2014 से 2022 तक आईएएसई संकाय ने बढ़ाई आर्थिक गड़बड़ियां
जांच रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 से 2022 के बीच संचालित आईएएसई (IASE) संकाय को चलाने के लिए विश्वविद्यालय ने अन्य संकायों जैसे आईटी और होटल मैनेजमेंट से करीब 7 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जिससे विश्वविद्यालय की निधि को गंभीर नुकसान पहुंचा। यह कदम स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों के मापदंडों के खिलाफ था।
बीटेक खाते में ट्रांसफर दिखाए गए 4.30 करोड़, पर राशि लापता
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि चैलेंज इवैल्यूएशन के नाम पर ली गई 4.30 करोड़ रुपये की फीस को बीटेक खाते में स्थानांतरित दिखाया गया, लेकिन जांच में पता चला कि यह राशि बीटेक खाते में पहुंची ही नहीं। ऑडिट टीम ने इसे गंभीर आपत्ति मानते हुए विश्वविद्यालय से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। टीम का कहना है कि स्पष्टीकरण न मिलने पर यह गबन का मामला माना जा सकता है।
बीएड प्रवेश परीक्षा की रद्दी में भी खेल, 10 लाख से ज्यादा का घाटा
यूपी संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा 2022 से संबंधित रद्दी सामग्री को कम दर पर बेचकर विश्वविद्यालय को 10.30 लाख रुपये की हानि पहुंचाई गई। रिपोर्ट में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने ओएमआर शीट और परीक्षा फार्म को मात्र 2121 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचा, जबकि इसी श्रेणी की अन्य उत्तर पुस्तिकाएं 3200 से 3232 रुपये प्रति क्विंटल में बेची गई थीं। इस गड़बड़ी से प्रति क्विंटल 1081 रुपये का नुकसान हुआ।
एफडीआर भुनाने पर भी सवाल, ब्याज में घाटा
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 31 मार्च 2023 को विश्वविद्यालय के सामान्य खाते में 13.60 करोड़ रुपये से अधिक की राशि उपलब्ध थी, इसके बावजूद 3.53 करोड़ रुपये के एफडीआर (FDR) भुना लिए गए, जिससे ब्याज में नुकसान हुआ। ऑडिट टीम ने इसे अनावश्यक और आपत्तिजनक बताया है।
विश्वविद्यालय का पक्ष: सबूत देंगे, आपत्तियां दूर होंगी
विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह ने बयान में कहा कि, “यह एक रूटीन ऑडिट प्रक्रिया है। विश्वविद्यालय एक सरकारी संस्था है और सभी कार्य सरकार के नियमानुसार किए जाते हैं। जिन बिंदुओं पर आपत्ति जताई गई है, उनके दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए जाएंगे। संभवतः ऑडिट अवधि के दौरान कुछ साक्ष्य न दिए जा सके हों, जिन्हें अब प्रस्तुत कर दिया जाएगा।”