धरने में शामिल कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन और इसके सहयोगी निगम आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों से खतरनाक और तकनीकी कार्य जैसे लाइनमैन और उपकेंद्र संचालन करवा रहे हैं, जबकि वेतन में भारी भेदभाव किया जा रहा है। सैनिक कल्याण निगम से नियुक्त कर्मचारियों को 30,000 का अनुबंध वेतन मिल रहा है, जबकि वही कार्य कर रहे संविदा कर्मचारियों को मात्र 13,000 दिए जा रहे हैं।
कम कर्मचारियों पर बढ़ता काम का बोझ
कर्मचारियों ने बताया कि ग्रामीण विद्युत उपकेंद्रों पर जहां 20 कर्मचारियों की जरूरत है, वहां मात्र 12.5 कर्मचारी ही तैनात किए गए हैं। वहीं, शहरी उपकेंद्रों पर 36 के स्थान पर केवल 18.5 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके चलते शेष कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है और कार्यरत कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ डालते हुए फेशियल अटेंडेंस लगाने का दबाव बनाया जा रहा है।
घायल कर्मचारियों को नहीं मिल रहा इलाज
संघ ने आरोप लगाया कि खंभों से गिरकर या करंट लगने से घायल हुए कर्मचारियों का कैशलेस इलाज तक नहीं कराया जा रहा है। इतना ही नहीं, 55 वर्ष की आयु पार कर चुके कर्मचारियों को बिना बकाया वेतन भुगतान किए कार्य से हटा दिया गया है।
72 घंटे का कार्य बहिष्कार जारी
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के आह्वान पर मंगलवार से शुरू हुआ 72 घंटे का कार्य बहिष्कार बुधवार को भी जारी रहा। कर्मचारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।
नेताओं ने जताई एकजुटता
धरने में जिलाध्यक्ष रिंकू श्रीवास्तव, तस्लीम खान, राहुल शर्मा, चंद्र प्रकाश सिंह, आसिफ अली, भुवनेश गंगवार, रुम सिंह, कपिल मिश्रा, प्रदीप कुमार, संजय, अमित समेत बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहे। सभी ने एक सुर में कहा कि अधिकारों की लड़ाई अंतिम दम तक लड़ी जाएगी।