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बरेली

केंद्र सरकार करवा रही पूर्व सांसद संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप के विकास कार्यों की जांच, 80 परियोजनाओं की होगी थर्ड-पार्टी मॉनिटरिंग

केंद्र सरकार ने बरेली और आंवला संसदीय क्षेत्रों में 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान कराए गए 80 विकास कार्यों की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए थर्ड-पार्टी एजेंसी एफसी इंडिया लिमिटेड को नियुक्त किया गया है। डीआरडीए (जिला ग्रामीण विकास अभिकरण) को इन कार्यों का विस्तृत ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसे नियोजन विभाग लखनऊ और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

बरेलीFeb 09, 2025 / 10:45 am

Avanish Pandey

बरेली। केंद्र सरकार ने बरेली और आंवला संसदीय क्षेत्रों में 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान कराए गए 80 विकास कार्यों की जांच शुरू कर दी है। इसके लिए थर्ड-पार्टी एजेंसी एफसी इंडिया लिमिटेड को नियुक्त किया गया है। डीआरडीए (जिला ग्रामीण विकास अभिकरण) को इन कार्यों का विस्तृत ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है, जिसे नियोजन विभाग लखनऊ और केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।

संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप के कार्यकाल की होगी जांच

2019 से 2024 के बीच बरेली से संतोष गंगवार और आंवला से धर्मेंद्र कश्यप सांसद थे। केंद्र सरकार ने इन दोनों संसदीय क्षेत्रों में कराए गए 40-40 विकास कार्यों का बिंदुवार ब्योरा मांगा है। इसके आधार पर उनकी गुणवत्ता और प्रभावशीलता की थर्ड-पार्टी जांच कराई जाएगी।

15 दिन में देनी होगी रिपोर्ट, अधिकारियों पर बढ़ा दबाव

रिपोर्ट में यह विवरण देना होगा:

सांसद निधि की पहली और दूसरी किस्त कब जारी हुई

किस वित्तीय वर्ष में कितने कार्य हुए और उनकी श्रेणी क्या थी
कौन सी संस्था ने काम किया और कितना खर्च हुआ

कार्य कब शुरू हुआ और कब पूरा हुआ

क्या जनता को कार्यों से लाभ मिला

डीआरडीए को 15 दिनों के भीतर यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजनी है, लेकिन स्थानीय अधिकारी अधिक समय की मांग कर रहे हैं। हाल ही में केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में यह मुद्दा उठाया गया था।

जांच में निकल सकते हैं अहम खुलासे

एफसी इंडिया लिमिटेड द्वारा जांच के दौरान यह परखा जाएगा कि:

काम सही ढंग से हुआ या नहीं।

निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और स्थायित्व कैसा है।
आवंटित धनराशि के हिसाब से जनता को कितना लाभ मिला।

इसके अलावा, 2009 से 2024 तक सांसद निधि से हुए विकास कार्यों का भी ब्योरा मांगा गया है। पीडी डीआरडीए चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि रिपोर्ट तय मानकों के अनुसार तैयार की जा रही है और विभाग के एई (असिस्टेंट इंजीनियर) को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।

सांसद निधि की पारदर्शिता पर सवाल

इस जांच को लेकर स्थानीय राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। अगर किसी भी परियोजना में अनियमितता पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई हो सकती है। अब देखना यह होगा कि संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप के कार्यकाल के विकास कार्य इस जांच में कितने पारदर्शी साबित होते हैं।

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