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बरेली

सीबीआई अफसर बनकर रिटायर्ड वैज्ञानिक से 1.29 करोड़ की ठगी करने वाले दो और आरोपी गिरफ्तार, कोर्ट ने भेजा जेल

सीबीआई अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर धमकाया, डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया और फिर ऑडिट के नाम पर 1.29 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। आईवीआरआई के रिटायर्ड वैज्ञानिक से हुई इस हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी के मामले में बरेली साइबर क्राइम पुलिस को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। टीम ने मिर्जापुर में दबिश देकर गिरोह के दो और शातिरों को धर दबोचा।

बरेलीJul 11, 2025 / 05:02 pm

Avanish Pandey

पुलिस की गिरफ्त में आरोपी (फोटो सोर्स: पत्रिका)

बरेली। सीबीआई अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर धमकाया, डिजिटल अरेस्ट का डर दिखाया और फिर ऑडिट के नाम पर 1.29 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। आईवीआरआई के रिटायर्ड वैज्ञानिक से हुई इस हाई-प्रोफाइल साइबर ठगी के मामले में बरेली साइबर क्राइम पुलिस को एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। टीम ने मिर्जापुर में दबिश देकर गिरोह के दो और शातिरों को धर दबोचा।

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गिरफ्तार किए गए आरोपी मिर्जापुर के जमालपुर निवासी 21 वर्षीय दीपू पांडेय और भदावल निवासी शुभम यादव साइबर ठगों के उसी गिरोह से जुड़े हैं, जिसने आईवीआरआई के रिटायर्ड वैज्ञानिक को ठगा था। शुक्रवार को दोनों को बरेली लाकर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। शनिवार को पुलिस और एसटीएफ ने 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, अब इन दोनों को गिरफ्तार किया है। अब तक इस गिरोह के छह आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

कैसे हुई थी रिटायर्ड वैज्ञानिक से ठगी

17 से 20 जून के बीच पीड़ित रिटायर्ड वैज्ञानिक को अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप कॉल और वीडियो कॉल किया गया। कॉल करने वालों ने खुद को सीबीआई और बेंगलुरु पुलिस का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल फर्जी सिम खरीदने और ह्यूमन ट्रैफिकिंग-जॉब फ्रॉड जैसे गंभीर मामलों में किया गया है। गिरफ्तारी का डर दिखाकर उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ में लेने की धमकी दी गई और कहा गया कि केस से बचने के लिए फौरन ऑडिट कराना होगा। ऑडिट के नाम पर तीन अलग-अलग खातों में 1.29 करोड़ रुपये ट्रांसफर करवा लिए गए। पैसे मिलते ही गिरोह ने उसे 125 अलग-अलग खातों में घुमाया और फिर क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर अपने वॉलेट्स में भेज दिया।

गिरोह का तरीका, कहां तक फैला है नेटवर्क

गिरोह के सदस्य अलग-अलग खाताधारकों से कमीशन पर बैंक खाते लेते हैं। ठगी के शिकार लोगों से वसूली गई रकम उन्हीं खातों में डाली जाती है। फिर रकम को दर्जनों खातों में ट्रांसफर कर छिपाया जाता है और आखिर में पूरी रकम क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर गिरोह के डिजिटल वॉलेट्स में भेज दी जाती है। यह कोई छोटा-मोटा गिरोह नहीं, बल्कि एक इंटरस्टेट साइबर गैंग है। इसके तार दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान और यूपी जैसे राज्यों से जुड़े हैं।

गिरफ्तार करने वाली टीम

आरोपियों को गिरफ्तार करने वाली टीम में साइबर थाना प्रभारी दिनेश कुमार शर्मा, हेड कांस्टेबल विलिश कुमार हरेंद्र कुमार और कांस्टेबल अंकुल सिंह शामिल रहे।

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