scriptRajasthan News : बाड़मेर-जैसलमेर में विकास के नाम पर काट दिए लाखों पेड़, हीटवेव का एक्शन प्लान भी नहीं | Lakhs of trees were cut in Jaisalmer-Barmer, no action plan for heatwave | Patrika News
बाड़मेर

Rajasthan News : बाड़मेर-जैसलमेर में विकास के नाम पर काट दिए लाखों पेड़, हीटवेव का एक्शन प्लान भी नहीं

रेगिस्तान में पौधों को लेकर जहां एक ओर लोगों में जागरुकता बढ़ी है। वहीं दूसरी तरफ पेड़ों को अंधाधुंध कटाई ने पर्यावरण संतुलन पर बड़ा खतरा खड़ा कर दिया है।

बाड़मेरMar 04, 2025 / 03:18 pm

Rakesh Mishra

felling of trees

प्रतीकात्मक तस्वीर

औद्योगीकरण और कंक्रीट के जंगल बिछाने की होड़ पेड़ों की बलि ले रहा है। राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में औद्योगीकरण के बढ़ने के साथ ही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई 2003 से अब तक हो रही है। बदले में लगने वाले पौधे आंकड़ों में ज्यादा हैं और धरातल पर बहुत कम। नतीजा हीटवेव का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
रेगिस्तान में पौधों को लेकर जहां एक ओर लोगों में जागरुकता बढ़ी है। वहीं दूसरी ओर बड़े पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने पर्यावरण संतुलन पर बड़ा खतरा खड़ा कर दिया है। कोयला, सौर ऊर्जा, तेल-गैस व अन्य क्षेत्र में हुए कार्य में लाखों बीघा जमीन अवाप्त हो गई और इस जमीन से पेड़ों का नामोनिशान मिटता गया। रही सही कसर सड़कों के विस्तार ने पूरी की, जहां हाईवे, मेगा हाईवे, एक्सप्रेस हाईवे और ग्रामीण सड़कों के लिए पेड़ कटते रहे।

तारों का जाल खा गया

बाड़मेर-जैसलमेर में हाई टेंशन तारों के जाल भी पेड़ों की बली ले रहे हैं। बड़े-बड़े खंभे लग रहे हैं, जिसमें एक बीघा तक जमीन चाहिए। इन खंभों की जगह पर पंद्रह से बीस पेड़ औसतन काटे जा रहे हैं। इनके बदले में पौधे लग नहीं रहे हैं।

हीटवेव बन रही आपदा

राजस्थान में अब हीटवेव आपदा बनने लगी है। 48 डिग्री से अधिक तापमान पहुंच रहा है। बाड़मेर-जैसलमेर में तो यह 50 डिग्री तक पहुंच रहा है। इस दौरान चलने वाली हीटवेव से लोगों की जान जाने लगी है। आपदा प्रबंधन के पास में हीटवेव को रोकने के लिए कोई प्लान नहीं है और न ही किसी प्रकार की योजना।
यह वीडियो भी देखें

नहीं बना एक्शन प्लान

2010 में अहमदाबाद में 4442 लोगों की मौत हीटवेव से हुई थी। इसके बाद अहमदाबाद में एक्शन प्लान बनाया गया, जिससे मौतों का सिलसिला रुका और तापमान भी 5 डिग्री तक कम आया। इस प्लान को राजस्थान में लागू करना तय हुआ, लेकिन अभी तक यह ठण्डे बस्ते में ही है।

ना नया सोच रहे, न कर रहे

  • * बाड़मेर, बालोतरा, जैसलमेर के अलावा अब नई बनी नगरपालिकाओं में ऑक्सीजोन प्राथमिकता से बनाया जाए। शहर के पास तीस से चालीस बीघा जमीन ऐसी हो, जहां केवल पेड़ हों और उसकी शुद्ध हवा शहर तक पहुंचे।
  • * शहरों में भूजल स्तर बढ़ रहा है। इससे वॉटर लॉगिंग की समस्या हो गई है। यहां पर सफेदा सहित कई प्रजाति के पेड़ हैं, जो पानी को सोखते है। यह पर्यावरण के लिए ठीक है, लेकिन शहरों में इनका सघन वृक्षारोपण नहीं हो रहा है।
  • * ओरण-गोचर की जमीन गांव-गांव में संरक्षित रही है, लेकिन अब इस पर अतिक्रमण हो रहे हैं। ओरण गोचर मेें पौधे लगाकर इसके संरक्षण का कार्य भी आगे नहीं बढ़ रहा है।

अफसरों पर निर्भरता ले डूब रही

असल में पेड़ काटना और लगाना दोनों अफसरों पर निर्भर हो गया है। वे ही ताइद करते हैं कि पेड़ काटे गए और वे ही कागजों में लिख रहे हैं कि पौधे लगा दिए गए। हाल ही में विधानसभा में एक सवाल के जवाब में 60 हजार पौधे लगाने का आंकड़ा दिया गया, लेकिन पौधे नहीं लगे। जब तक पौधे लगाने और काटने में स्वतंत्र संस्था या एजेंसी के मार्फत कार्य नहीं होगा, तब तक असली आंकड़े सामने नहीं आएंगे।
  • अजयकुमार अस्थाना, पर्यावरण विशेषज्ञ
यह भी पढ़ें

ओरण और गोचर भूमि बचाने के लिए रविंद्र सिंह भाटी ने खोला मोर्चा

Hindi News / Barmer / Rajasthan News : बाड़मेर-जैसलमेर में विकास के नाम पर काट दिए लाखों पेड़, हीटवेव का एक्शन प्लान भी नहीं

ट्रेंडिंग वीडियो