रविवार को बाबा महेश गिरी की बड़वानी में शवयात्रा निकाली गई। रोहिणी तीर्थ स्थित मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान क्षेत्र के विधायक राजन मंडलोई सहित सैकड़ों की तादाद में भक्त मुक्तिधाम और शवयात्रा में मौजूद रहे।
ये भी पढ़े- ‘टोल प्लाजा’ पर नहीं रोकेंगे टोलकर्मी, अपने आप खुलेगा गेट लंबे समय से कर रहे थे नर्मदा परिक्रमा
बाबा महेश गिरी को नर्मदा परिक्रमा करने के लिए जाना जाता था। वह लंबे समय से ये कार्य कर रहे थे। नर्मदा परिक्रमा के दौरान वह कई बार बड़वानी के मंदिर में रुका करते थे। यहां वह नर्मदा परिक्रमा वासियों की सेवा भी किया करते थे। जानकारों के अनुसार, वह 25 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए गए थे। वह से वापसी के दौरान उन्हें हार्ट संबंधित परेशानी हुई और अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
ये भी पढ़े- सिंहस्थ से पहले बदलेगी उज्जैन की तस्वीर, कुंभ भवन का काम शुरू, शिप्रा होगी साफ जूना अखाड़े से ताल्लुक रखते थे बाबा महेश गिरी
बता दें कि, बाबा महेश गिरी वाराणसी के जूना अखाड़े के साधु थे। वह पिछले दो साल से नर्मदा परिक्रमा के कारण बड़वानी में रुके हुए थे। इस बार बाबा ने दंडवत परिक्रमा का संकल्प लिया था। वह बड़वानी से आगे निकलकर तोरणमाल तक पहुंच गए थे, लेकिन एक हाथ फ्रेक्चर होने के कारण वह वापस बड़वानी आ गए थे।