बिरला ने यह बातें संसद भवन परिसर में महाराष्ट्र विधानमंडल के नव निर्वाचित सदस्यों के लिए संसदीय लोकतन्त्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्था (प्राइड) की ओर से आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में कही। उन्होंने कहा कि सदस्यों को सत्र के दौरान सदन में अधिक समय बिताकर विभिन्न पक्षों की राय सुनना चाहिए, जिससे लोगों के मुद्दों को समझने और उनसे निपटने में उनका नजरिया व्यापक होगा। बिरला ने विधायकों से आग्रह किया कि वे सदन की कार्यवाही में ब्यवधान न डालकर प्रश्नकाल जैसे प्रभावी विधायी साधनों का उपयोग करते हुए जनता के मुद्दे उठाएँ। उन्होंने कहा कि सर्वश्रेष्ठ विधायक वही होता है जो सदन की कार्यवाही में पूर्ण सहभाग करता है और समय-समय पर संसदीय कार्यों को समझकर, अच्छे शोध के साथ तर्कपूर्ण चर्चा करता है। इस अवसर पर महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष एड. राहुल नार्वेकर, लोकसभा महासचिव उत्पल कुमार सिंह ने विचार रखें।
विधानमंडलों की बैठकें कम होना चिंतनीय
बिरला ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि विधानमंडलों की बैठकों की संख्या घटती जा रही है परंतु देश की सभी विधानसभाओं में महाराष्ट्र विधान सभा की कार्योत्पादकता प्रशंसनीय है।
कानून बनाने से पहले व्यापक चर्चा जरूरी
बिरला ने कहा कि विधि निर्माण के दौरान लेजिसलेटिव ड्राफ्टिंग का विशेष रूप से ध्यान रखना किसी भी विधायक का महत्वपूर्ण दायित्व है क्योंकि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग में हुई छोटी सी त्रुटि का जनता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है। कानून बनाते समय सदन में व्यापक चर्चा होनी चाहिए ताकि सकारात्मक रूप से जनकल्याण के मुद्दे कानून का भाग बने। संसदीय समितियों को मिनी पार्लियामेंट बताते हुए बिरला ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों को समितियों में सक्रिय रूप से भाग लेना चाहिए।