बस्सी थाना अधिकारी आईपीएस अभिजित पाटील ने बताया कि थाना क्षेत्र के रोहताशपुरा गोशाला के पास से एक नाबालिग लड़की के मौजूद होने की सूचना मिली थी। मौके पर पहुंची पुलिस नाबालिग लड़की को थाने ले आई। जहां उससे पूछताछ व गहनता से जांच की तो कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए। थाना प्रभारी ने बताया कि उत्तर प्रदेश निवासी नाबालिग लड़की ने बताया कि बस्सी थाना इलाके में सुजानपुरा गांव में गायत्री नाम की एक महिला गायत्री सर्व समाज फाउंडेशन नाम से एक एनजीओ चलाती है। एनजीओ सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार कर लोगों को बुलाकर तथा नाबालिग लड़कियों की खरीद फ़रोख्त कर लोगों से शादी करने के बहाने से नाबालिग लड़कियों को देह व्यापार के लिए बेचा जाता है।
महिला ने उसे कई दिनों से कैद कर रखा है, बाद में उसे नशीला पदार्थ पिलाकर 2 लाख 50 हजार रुपए लेकर उसकी शादी करा दी। करीब एक सप्ताह बाद उसे अपने परिजनों की याद आने लगी तो वह वहां से मौका पाकर भाग गई। इस पर उसके पति ने उसका पीछा कर उसे पकड़ लिया। वह उसे पकड़कर गायत्री के पास ले गया। जहां पर गायत्री ने उसे तीन दिन तक डेरे में बंद रखा और उसके साथ मारपीट करती रही।
दोबारा बेचने का चल रहा था प्रयास
नाबालिग ने पूछताछ में बताया कि उसे डेरे में बंद कर गायत्री मारपीट करती रहती थी। एक दिन उसने सुना कि वह उसे किसी दूसरी जगह बेचने की बात कर रही है। गायत्री ने उसको 3 लाख रुपए में बेचने का सौदा तय कर दिया है। उसने यह भी सुना कि उसको खरीदने के लिए दो व्यक्ति आ रहे हैं।
इनको किया गिरफ्तार
थानाधिकारी ने बताया कि नाबालिग व एक अन्य लड़की से पूछताछ के बाद पुलिस ने सुजानपुरा स्थित गायत्री विश्वकर्मा द्वारा संचालित गायत्री सर्व समाज फाउंडेशन के डेरे पर दबिश देकर गायत्री (52) पत्नी रामावतार जांगिड़ निवासी प्रेम नगर, आगरा रोड, भगवान सहाय (27) निवासी मोतीपुरा नसीराबाद जिला अजमेर, महेंद्र मेघवंशी (45) निवासी मोतीपुरा नसीराबाद जिला अजमेर, हनुमान सिंह गुर्जर (32) निवासी गादरवाड़ा कोलवा दौसा को गिरफ्तार किया है।
एक अन्य महिला ने की मदद
थानाधिकारी ने बताया कि गायत्री ने उसके डेरे में बंगाल से लाकर एक महिला को भी कैद कर रखा था। जब नाबालिग ने खुद को दूसरी जगह बेचने की बात उस महिला को बताई तो उक्त महिला ने उसे भगाने में मदद की और उससे कहा कि पास ही गोशाला में जाकर आपबीती बता कर पुलिस को सूचना दे देना। इस पर नाबालिग डेरे से भाग़कर गोशाला में चली गई और वहां से पुलिस को फोन करवा दिया। थानाधिकारी ने बताया कि नाबालिग फरार हुई तो इसकी जानकारी जब डेरा सरगना गायत्री और खरीददारों को लगी तो उन्होंने नाबालिग का पीछा भी किया। लेकिन वह उनको नहीं मिली तो वे वापस डेरे में चले गए।
बनाते थे फर्जी कागजात
थानाधिकारी ने बताया कि अपहरण कर या जबरन व नौकरी का झांसा देकर लाने वाली नाबालिग व अन्य लड़कियों को यहां लाकर उनके फर्जी डॉक्यूमेंट बनवाकर उन्हें बालिग और स्थानीय निवासी बताया जाता था। मौके से पुलिस को कई लड़कियों के फर्जी डॉक्यूमेंट भी मिले है। थानाधिकारी ने बताया उक्त एनजीओ के खिलाफ कानोता, ट्रांसपोर्ट नगर व बस्सी थाने में करीब तीन दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। ये आरोपी पिछले 8 वर्ष से डेरा डालकर यहां रह रहे हैं। इन 8 वर्षों में आरोपियों ने कई राज्यों से लड़कियां लाकर राजस्थान में बेच दी है। रैकी कर ढूंढते शिकार
थानाधिकारी ने बताया कि गिरोह की सरगना व उसके साथी यूपी, बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड में गरीब परिवारों को टारगेट कर उनकी रैकी करते हैं और बाद में उनके परिजनों व लड़कियों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर यहां ले आते हैं और यहां आकर उनको शादी के नाम पर बेचकर देह व्यापार में धकेल देते हैं। किसी को शक नहीं हो इसलिए लड़कियों के अपहरण व जबरन शादी करने वाले को आपसी बोलचाल की भाषा में वे स्काउट बोलते हैं।
थानाधिकारी ने बताया कि मौके से जबरन कैद की गई महिला ने बताया कि वह बंगाल में छोटा-मोटा काम कर व भीख मांग कर अपने परिवार का गुजारा करती थी। उसके परिवार पर कुछ कर्जा भी हो गया था। तभी वहां एक एजेंट आया और उसे 20 हजार रुपए प्रति माह नौकरी का झांसा देकर यहां ले आया और यहां आकर गायत्री को बेच दिया। उसे करीब साल भर से डेरे से बाहर भी नहीं जाने दिया गया। जिसकी उसे मनोस्थिति खराब हो चुकी है।