इन गांवों में केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं के लिए समुदाय को शामिल करते हुए सामाजिक,आर्थिक और पर्यावरणीय विकास की पहल की जाएगी। इससे सभी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ समावेशी विकास के उद्देश्य पर अधिक जोर दिया जा सकेगा।
अब होगा विकास
राज्यपाल द्वारा जिन गांवों को गोद लिया जा रहा है उनमें पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा, कृषि, विरासत एवं संस्कृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान देकर इसके संरक्षण के लिए सामुदायिक पहल किए जाएंगे। साथ ही इन गांवों की समय-समय पर निगरानी भी की जाएगी। गत वर्ष नई दिल्ली में आयोजित राज्यपालों के समेलन में प्रधानमंत्री फ्लेगशिप योजनाओं के क्रियान्वयन पर जिले के अधिकारियों के साथ चर्चा करने के लिए निर्देशित किया गया था। इसी निर्देश के परिपालन में राज्यपाल ने कुछ गांवों को आदर्श गांव की तर्ज पर विकसित करने का संकल्प लिया।
पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक विकास मॉडल
राज्यपाल डेका की यह पहल सिर्फ इन तीन गांवों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे
छत्तीसगढ़ के लिए एक विकास मॉडल बन सकती है। यह कदम गांवों को आत्मनिर्भर बनाने, पलायन रोकने और उन्हें प्रदेश की मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक बड़ी छलांग साबित हो सकता है।
पूरे राज्य में इस फैसले का स्वागत हो रहा है और उम्मीद है कि यह दूसरे अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को भी ऐसे ही कदम उठाने के लिए प्रेरित करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में टेमरी, मड़वा डीह और सोनपुरी की तस्वीर कितनी तेजी से और किस तरह बदलती है।