सामने आई एनआईसीयू के कर्मचारियों की लापरवाही
नवजात बच्चे के पिता छोटेलाल (25 वर्ष) निवासी नदबई ने बताया कि उसकी पत्नी डोली (21 वर्ष) को 19 जून को जनाना अस्पताल में डिलीवरी के लिए भर्ती किया था। 19 जून को ही डोली ने लड़के को जन्म दिया। लड़का प्री-मेच्योर था। इसलिए उसे एनआइसीयू वार्ड में भर्ती कर लिया गया। 24 जून को डोली को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। रोजाना बच्चे के चेकअप होते और डोली को दो बार एनआइसीयू वार्ड में बच्चे को दूध पिलाने के लिए बुलाया जाता। 9 जुलाई को एनआइसीयू वार्ड में एक बच्ची भर्ती थी। उसे जयपुर रेफर करना था। डॉक्टर ने नवजात बच्ची को जयपुर के जेके लोन अस्पताल के लिए रेफर कर दिया, लेकिन एनआईसीयू के कर्मचारियों ने लड़की की जगह लड़के को परिजनों के सुपुर्द कर दिया। इसके बाद वह एबुलेंस से बच्चे को लेकर जेके लोन अस्पताल पहुंचे। दूसरी तरफ डोली अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए एनआइसीयू वार्ड में गई। तब उसने अपने बच्चे का डायपर बदला तो पता लगा कि वह लड़का नहीं लड़की है।लड़की की जगह लड़का दे दिया
वहीं लड़की के परिजनों ने जेके लोन अस्पताल में भर्ती करने से पहले नवजात का जब डायपर बदला तो उन्हें पता लगा कि जनाना अस्पताल के कर्मचारियों ने उन्हें लड़की की जगह लड़का दे दिया है। इसके बाद उन्होंने अस्पताल प्रशासन को सूचना दी। अस्पताल प्रशासन ने तुरंत आनन-फानन में लड़की को जयपुर रेफर किया। दोनों नवजात बच्चों का इलाज जेके लोन अस्पताल में जारी है। बबीता निवासी अछनेरा जिला आगरा उत्तर प्रदेश ने बताया कि उसके बेटे की पत्नी प्रियंका (20 वर्ष) ने 6 जुलाई को एक बच्ची को जन्म दिया था।बच्चे का डायपर बदला तो खुला पोल
उसके गले में दिक्कत थी। इसलिए उसे जनाना अस्पताल के एनआइसीयू वार्ड में भर्ती कर लिया गया। 9 जुलाई को उसे जयपुर रेफर कर दिया गया। हमें बच्ची की जगह बच्चे को सुपुर्द कर दिया गया। हम बच्चे को लेकर जेके लोन अस्पताल पहुंच गए। जब जेके लोन अस्पताल में भर्ती करने के पहले बच्चे का डायपर बदला तो हमें पता लगा कि हमें बच्ची की जगह किसी और का बच्चा दे दिया गया है।पहले भी हो चुकी लापरवाही
13 जनवरी 2018 को भी जनाना अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया था। वहां से एक बच्चे को चोरी कर लिया गया था। हालांकि पुलिस के दबाव के कारण आरोपी महिला ने बच्चे को रारह के पास छोड़ दिया था। इसके अलावा भी जनाना अस्पताल में लापरवाही के कई मामले सामने आते रहे हैं। कभी बधाई के नाम पर वसूली तो कभी प्रसूताओं के साथ दुर्व्यवहार की शिकायत सामने आती रही है।बच्चे नहीं, रैफर टिकट बदला
दरअसल बच्चे नहीं बदले हैं। अस्पताल से दो बच्चे रैफर होने थे। इनमें से पहले रैफर हुए बच्चे का रैफर टिकट बदल गया। बाद में दूसरा बच्चा भी रैफर किया गया। मामला संज्ञान में आते ही जयपुर जे.के. लोन में ड्यूटी डॉक्टर से बात कर बच्चे को जनाना अस्पताल में दिए गए इलाज की जानकारी दी गई और बच्चे का इलाज शुरू कराया गया। इसके बाद दूसरे बच्चे को रैफर किया। अब अस्पताल में दोनों बच्चों का उपचार शुरू हो चुका है। हमारी टीम लगातार वहां चिकित्सकों के संपर्क में है। रैफर टिकट बदलने की गलती किस स्तर पर हुई है, इसकी जांच के लिए कमेटी गठित की जा रही है।डॉ. हिमांशु गोयल, प्रभारी शिशु इकाई जनाना अस्पताल भरतपुर
नियमानुसार करेंगे कार्रवाई
मामला संज्ञान में आया है। आरबीएम अधीक्षक से बात कर जांच कमेटी बनाई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार यदि लापरवाही सामने आती है तो संबंधित के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।डॉ. शेर सिंह, प्रभारी, जनाना अस्पताल भरतपुर