Jungle News: घना के 22 हिरणों को भेजा गया मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, बाघों के बनेंगे शिकार, 500 चीतल और भेजने की तैयारी
Jungle News: मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में शिकार की कमी हो गई है। ऐसे में अब घना के चीतल हिरणों को इन टाइगर रिजर्व में पहुंचाया जा रहा है। बुधवार को 22 हिरण मुकुंदरा हिल्स में पहुंचाए गए।
भरतपुर। राजस्थान के टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए प्रचुर प्राकृतिक शिकार उपलब्ध कराने को लेकर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (घना) से चीतल हिरणों की स्थानांतरण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इसी कड़ी में बुधवार को 22 चीतल सफलतापूर्वक मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भेजे गए। यह कार्य अफ्रीकी बोमा तकनीक की मदद से पूरी तरह सुरक्षित और व्यवस्थित ढंग से किया गया।
घना के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि मंगलवार रात बोमा तकनीक के जरिए 22 चीतल हिरण पकड़े गए थे। इन्हें बुधवार सुबह मुकुंदरा भेजा गया। आने वाले दिनों में दो बड़े टाइगर रिजर्व मुकुंदरा हिल्स और रामगढ़ विषधारी में 250-250 चीतल और भेजे जाएंगे। अब तक केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से 543 चीतल स्थानांतरित किए जा चुके हैं। इनमें 400 मुकुंदरा और 143 चीतल रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में छोड़े गए।
टाइगर रिजर्व में भोजन की कमी
निदेशक मानस सिंह ने बताया कि टाइगर रिजर्व में बाघों की बढ़ती संख्या के साथ उनके लिए पर्याप्त प्राकृतिक शिकार (प्रे-बेस) की आवश्यकता महसूस की जा रही है। चीतल, बाघों का प्रमुख शिकार होते हैं। चीतलों की मौजूदगी से बाघों का शिकार व्यवहार स्वाभाविक बना रहेगा। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना कम होगी। इसके अलावा यह जैव विविधता को संतुलित रखने और पारिस्थितिक तंत्र को मजबूत करने में भी सहायक होगा।
इस तकनीक से पकड़े गए चीतल
मानस सिंह ने बताया कि चीतल अत्यंत सतर्क व संवेदनशील वन्यजीव हैं। इन्हें पारंपरिक तरीकों से पकडना मुश्किल होता है, इसलिए अफ्रीकी देशों में इस्तेमाल बोमा तकनीक को अपनाया गया। इसमें जंगल में झाडियों व पेड़ों के बीच लकड़ी, जाल व प्राकृतिक अवरोध से बाड़े बनाए जाते हैं। चीतलों के लिए इन बाड़ों में चारा डाला जाता है। इससे वे धीरे-धीरे अंदर आते हैं। अंतिम घेरे में लगे दरवाजे से पिंजरे वाले ट्रक में चीतल स्वाभाविक रूप से पहुंच जाते हैं। पूरी प्रक्रिया में चीतलों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता और ट्रांसफर सुरक्षित रहता है।