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CG Weather: रायपुर में देर शाम बदला मौसम, अंधी तूफ़ान ने दिलाई गर्मी से राहत, देखें इनमें से उद्यानिकी फसलों का रकबा करीब 45 हजार हेक्टेयर है। उद्यानिकी फसलों में जिले में सर्वाधिक 33 हजार 895 हेक्टेयर में सब्जियों की खेती होती है। इसके बाद फलों का नंबर आता है। जिले में 6 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में इस समय फलों की खेती हो रही है। इसमें बड़ा क्षेत्रफल केले और पपीते का है। जानकारी के मुताबिक बीते
सीजन में जिले में 1894 हेक्टेयर की खेती से 53 हजार 832 मिटिरिक टन केले की पैदावार हुई थी।
30 से 40 टन तक पैदावार जिले में अत्याधुनिक तरीके से केले की खेती होती है। इसमें एक एकड़ में करीब 1200 से 1300 पौधे लगाए जाते हैं। धमधा के ग्राम बोड़ेगांव में करीब 30 एकड़ में उद्यानिकी फसलों की खेती करने वाले कृषक रविप्रकाश बताते हैं कि केले के एक पौधे में कम से कम 25 से 35 किलो फल लगता है। इस तरह प्रति एकड़ पैदावार 30 से 35 टन तक होती है।
आंधी के कारण पैदावार में बहुत असर पड़ेगा। अंधड़ ने केवल केले ही नहीं बल्कि पपीते पर दूसरे उद्यानिकी फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है। कई जगहों पर पपीते के भी पेड़ गिरे है। इसकी तरह खेतों में पेड़ों के भी टूटने की शिकायत है। कृषक रविप्रकाश ने बताया कि उनके इलाकों में सैकड़ों पेड़ों के साथ बिजली के खंबे और टीन शेड भी उड़ गए।
अंधड़ से केले की फसल तबाह, पपीते के पौधे गिरे, किसान परेशान पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत जिन कृषकों द्वारा एडऑन कवर के लिए बीमा कराया गया है, उन्हें फसल क्षति के 72 घंटे के भीतर सूचना देना अनिवार्य है। बीमा कंपनी, विभागीय अधिकारी और किसान की संयुक्त समिति द्वारा फसल क्षति का आंकलन किया जाएगा और नियमों के अनुसार दावा राशि का भुगतान किया जाएगा।
सुरेश ठाकुर उप संचालक उद्यानिकी दुर्ग अंधड़ में गिर गए आधे पेड़ धमधा के केला उत्पादक किसान सुनील पटेल ने बताया कि एक दिन पहले आए अंधड़ से औसत 50 फीसदी पेड़ गिर गए हैं। केले में एक ही बार फल आता है और गिर जाने पर दोबारा खड़ा नहीं किया जा सकता।
अंधड़ से बचे पेड़ों के फल भी प्रभावित होंगे। इन पेड़ों से मिले फल से पर्याप्त कीमत नहीं मिलेगी।