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ग्रामीण भी मोर्चा लेकर कलेक्टोरेट पहुंचे और संबंधित अफसरों को ज्ञापन सौंपकर मतों की दोबारा गणना कर स्थिति स्पष्ट करने की मांग रखी। सरपंच सहित भी जनप्रतिनिधियों ने स्थिति स्पष्ट होने से पहले शपथ नहीं लेने की बात कही है। सोमवार को पूरे जिले में ग्राम पंचायतों के निर्वाचित पंचों और सरपंचों का शपथ ग्रहण कराया गया। इसी के तहत ग्राम पंचायत अंजोरा ढाबा में भी शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया था।
निर्वाचित सरपंच व पंचों को शपथ दिलाने के लिए जनपद सीईओ ग्राम पंचायत अंजोरा ढाबा पहुंचे थे, लेकिन सरपंच प्रेमिन बाई साहू व सभी 19 पंचों ने शपथ ग्रहण से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि अफसरों की गलती के कारण गांव में विवाद की स्थिति बन रही है। ऐसे में मामले के बिना निराकरण शपथ ग्रहण से गांव में विवाद और गहरा सकता है।
गांव में किसी के साथ अन्याय ना हो व सौहाद्रपूर्ण वातावरण बना रहे, इसके लिए सभी पंचों के मतों की पुनर्गणना व ग्रामीणों के संतुष्ट होने के उपरांत ही पंचायत में शपथ ग्रहण लेना न्यायसंगत होगा। अत: प्रशासन को चाहिए कि शीघ्र समस्या का निराकरण करें ताकि पंचायत के विकास कार्य बाधित ना हो।
एक को आमंत्रण, दूसरे को प्रमाण पत्र मामले में सबसे रोचक स्थिति यह रही कि अफसरों ने ग्रामीणों के अनुसार पहले जीते हुए प्रत्याशियों को सोमवार को शपथ ग्रहण के लिए प्रथम समिलन का आमंत्रण दिया। इसके एक दिन बाद कथित तौर पर पराजित प्रत्याशियों को जीत का प्रमाण पत्र दे दिया। ग्रामीणों ने जब सचिव को गड़बड़ी की जानकारी दी तो उन्होंने भी सीईओ के नाम का हवाला देकर मामला टाल दिया।
अब चुनाव याचिका का दे रहे सुझाव ग्रामीणों के मुताबिक संबंधित अफसर अब मामले के निराकरण के बजाए गोलमोल कर रहे हैं। ग्रामीणों के मुताबिक उक्त वार्डों में उतरे सभी प्रत्याशी मतों की गणना अथवा गणना पत्रक के माध्यम से स्थिति स्पष्ट करने की बात पर सहमत है, लेकिन अफसर ग्रामीणों को सक्षम न्यायालय में चुनाव याचिका की सलाह दे रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इस तरह अफसर संबंधित पीठासीन अधिकारी की गलती पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं।
सीईओ ने विवादित वार्डों को छोड़कर सरपंच व शेष पंचों के शपथ ग्रहण का विकल्प रखा, लेकिन सरपंच सहित सभी निर्वाचित पंचों ने इससे इनकार कर दिया। करीब घंटे भर मान-मनौव्वल के बाद सीईओ सरपंच व पंचों को बिना शपथ दिलाए ही लौट गए। मामले का संतोषजनक समाधान नहीं होने से नाराज ग्रामीण सीधे शपथ ग्रहण स्थल से मोर्चा लेकर कलेक्टोरेट पहुंच गए। यहां उन्होंने मामले के निराकरण के बिना शपथ नहीं लेने का ऐलान करते हुए अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा।