
बता दें कि भीलवाड़ा जिले के सबसे बड़े महात्मा गांधी अस्पताल परिसर में शुक्रवार को मानवीय संवेदनाओं के तार-तार होने की यह घटना सामने आई। यहां जन्म के ठीक बाद मृत दो बेटियों का अंतिम संस्कार करने की बजाए उनका तिरस्कार कर कचरे के ढेर में फेंक दिया। सफाईकर्मियों ने सुबह कचरे में शव मिलने पर पुलिस और चिकित्साकर्मियों को सूचना दी।
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भीमगंज थाना पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया। पुलिस मामले की जांच कर रही है। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि अस्पताल के दूसरे एंट्री गेट के पास महिला सफाईकर्मी झाडू लगा रही थी। उनको पत्थरों के बीच जमा कचरा हटाते समय वहां दो नवजात बालिकाओं के शव दिखे। इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी। इस दौरान लोग जमा हो गए।
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प्रारंभिक जांच में सामने आया कि बच्चियों का जन्म गुरुवार देर रात हुआ था। संभवत: उनकी मौत जन्म के कुछ समय बाद ही हो गई थी। उनको भोर होने से पहले कोई कचरे के ढेर में वहां फेंक दिया गया। गनीमत रही कि वहां श्वान नहीं पहुंचे।
पांच साल में छह नवजात के शव कचरे में मिले
भीलवाड़ा में पिछले पांच साल में छह नवजात बच्चों के शव कचरे में फेंकने की घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें चार बेटियां थी। इनका अंतिम संस्कार करने की बजाए उनको फेंक दिया गया। इनमें कई शवों को कुत्तों ने नोच तक दिया। इस मामले में एक भी परिजन को पुलिस नहीं तलाश पाई।