केन्द्र सरकार की ओर से पारदर्शिता सुनिश्चित करने एवं किसानों को जन कल्याणकारी योजनाओं से लाभांवित कराने के लिए एग्रीस्टेक डिजिटल कल्चर इनिशिएटिव के तहत एग्रीस्टेक डिजिटल एग्रीकल्चर परियोजना शुरू की गई। सभी राजस्व गांवों का डिजिटल मैप तैयार कराया है। मोबाइल ऐप से जीआइएस आधारित रियल टाइम क्रॉप सर्वे कराया जा रहा है। अब इसके तहत प्रत्येक किसान का रजिस्ट्रेशन होगा।
रजिस्ट्रेशन के बाद किसान को 11 अंकों का यूनिक नंबर दिया जाएगा। किसान की अलग पहचान होगी। इस फार्मर आइडी से किसान के समस्त कृषि भूखंड और हिस्से जुड़े रहेंगे। इसमें इस तरह की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी कि कोई किसान जमीन की खरीद एवं बेचान करता है। रेकॉर्ड अपने आप ही अपडेट हो जाए। इससे राज्य सरकार को किसानों, उनकी कृषि भूमि, फसल अपादन और संबंधित गतिविधियों पर रीयल-टाइम डेटा उपलब्ध होगा और सरकार बेहतर नीतियां बना सकेगी।
यह विवरण दर्ज होगा फार्मर आइडी में किसान का नाम, पिता का नाम उसके स्वामित्व वाले खेत का खसरा नंबर, मोबाइल नंबर और आधार नंबर दर्ज होगा। शिविरों में किसानों की जानकारी का व्यापक डेटाबेस तैयार करते हुए प्रत्येक किसान को विशिष्ट फार्मर आइडी दी जाएगी। इससे किसानों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने में सुगमता एवं पारदर्शिता आएगी।
पांच फरवरी से लगेंगे शिविर फार्मर रजिस्ट्री के लिए पंचायतों में 5 फरवरी से शिविर लगाए जाएंगे। इनमें दस्तावेज के आधार पर किसानों को मौके पर 11 अंक की यूनिक आइडी जारी की जाएगी। पंचायतराज विभाग की विभिन्न योजनाओं का रजिस्ट्रेशन एवं फायदा इन शिविरों में मिलेगा। शिविरों में कृषि एवं सहकारिता विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहेंगे।
किसानों को यह मिलेगा फायदा पीएम किसान समान निधि की किस्त के साथ फसल बीमा का लाभ प्राप्त करने में आसानी होगी। खराबे की स्थिति में किसानों का चिन्हीकरण आसान होगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद के लिए किसानों का स्वत रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। किसानों को कल्याण की अन्य योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए बार-बार सत्यापन या रजिस्ट्रेशन नहीं कराना पड़ेगा।