क्या है धोखाधड़ी का पूरा मामला?
जानकारी के मुताबिक राजसमंद के खनिज व्यापारी परमेश्वर लाल जोशी ने 2022 में तत्कालीन राजस्व मंत्री रामलाल जाट सहित 5 लोगों पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। परमेश्वर लाल का आरोप है कि उनकी ग्रेनाइट खान में 50 फीसदी शेयर पूर्व मंत्री रामलाल जाट ने अपने भाई के बेटे सुरेश और उसकी पत्नी मोना के नाम करवा लिए। इसके बदले में 5 करोड़ रुपए देने का वादा किया था, लेकिन जब शेयर ट्रांसफर हो गए, तो रुपए नहीं दिए। जब व्यापारी ने पैसे मांगे, तो पहले 2 करोड़ देने का आश्वासन दिया, लेकिन वह भी नहीं दिए। परमेश्वर लाल के अनुसार, जब उन्होंने विरोध किया तो रामलाल जाट ने अपने राजनीतिक रसूख और मंत्री पद की ताकत का इस्तेमाल कर उन्हें धमकाया और खान में काम कर रहे मजदूरों को डरा-धमका कर भगा दिया।
खनन व्यवसायी का क्या कहना है?
राजसमंद के गढ़बोर निवासी परमेश्वर लाल जोशी ने पुलिस को दी गई रिपोर्ट में बताया था कि वह करेड़ा के रघुनाथपुरा में ‘मैसर्स अरावली ग्रेनि मार्मो प्रा. लि.’ के नाम से ग्रेनाइट माइंस का काम करते हैं। इस कंपनी का रजिस्ट्रेशन श्याम सुंदर गोयल और चंद्रकांत शुक्ला के नाम से है। जिस समय कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ था, उस समय परमेश्वर श्याम सुंदर और चंद्रकांत से 10 करोड़ रुपए मांगता था। इसके चलते इन दोनों ने माइंस के 50 प्रतिशत शेयर परमेश्वर और उसकी पत्नी भव्या जोशी के नाम पर कर दिए थे। बकाया 5 करोड़ रुपए देने का था वादा
परमेश्वर जोशी के आरोप हैं कि बाकी के 50 प्रतिशत शेयर का सौदा श्याम सुंदर और चंद्रकांत ने रामलाल जाट से कर दिया। रामलाल जाट ने माइंस के शेयर अपने रिश्तेदार मोना चौधरी और सुरेश जाट के नाम पर करवा दिए। इन शेयर के पैसे रामलाल जाट को देने थे। परमेश्वर, श्याम सुंदर और चंद्रकांत से 5 करोड़ रुपए और मांगता था। इन दोनों ने बकाया 5 करोड़ रुपए शेयर खरीदने वाले रामलाल जाट से लेने के लिए कहा था।
पूर्व मंत्री ने शेयर के डॉक्युमेंट ट्रांसफर होते ही 5 करोड़ रुपए देने का वादा किया था। परमेश्वर ने 5 करोड़ रामलाल से मांगे। उन्होंने इनकार कर दिया। सिर्फ 2 करोड़ रुपए देने का आश्वासन दिया। बाद में 2 करोड़ रुपए भी नहीं मिले।
पुलिस ने दर्ज नहीं किया मामला
बता दें, व्यापारी परमेश्वर लाल ने करेड़ा थाना पुलिस में शिकायत दी, लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। इसके बाद उन्होंने न्यायालय की शरण ली और कोर्ट के आदेश पर 17 सितंबर 2022 को रामलाल जाट सहित पांच लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई। लेकिन व्यापारी को शक था कि पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं करेगी, इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट में CBI जांच की मांग की।
हाईकोर्ट ने CBI जांच के दिए आदेश
हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने सुनवाई के बाद इस मामले की जांच CBI को सौंपने का आदेश दिया। कोर्ट ने CBI को राजस्थान पुलिस से केस डायरी और अन्य दस्तावेज लेकर निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए। साथ ही डीएसजी मुकेश राजपुरोहित को CBI अधिकारियों को इस आदेश की सूचना देने के लिए कहा गया है। क्या बढ़ेंगी रामलाल जाट की मुश्किलें?
पूर्व मंत्री रामलाल जाट गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री रह चुके हैं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। अब इस मामले की जांच CBI को सौंपे जाने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अगर CBI जांच में धोखाधड़ी के आरोप सही पाए जाते हैं, तो उन पर कानूनी शिकंजा कस सकता है। अब इस मामले पर राजनीतिक हलकों में भी बड़ी हलचल मच गई है। अब सभी की नजरें CBI की जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं।