बड़कुले का विशेष महत्व बडक़ुले बनाने में सिर्फ गाय के गोबर का ही उपयोग होता है। बड़कुले को होलिका दहन से पहले पूजा जाता है। होलिका दहन के समय इनकी माला को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घुमाकर होली में डाला जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे सारी विपदाएं दूर हो जाती हैं। गोबर से बने बड़कुले को आकर्षक बनाने के लिए रस्सी से माला बनाई जाती है और फिर इन्हें होलिका दहन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
बढ़ता है सकारात्मक वातावरण गोबर के ढाल-तलवार बनाए जाते हैं। पूर्णिमा के दिन माला बनाकर पूजा के बाद दहन होता है। पंडित अशोक व्यास के अनुसार गाय का गोबर शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। जब इसे जलाया जाता है तो निकलने वाला धुआं घर से नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है। यही कारण है कि यज्ञ और हवन में भी गाय के गोबर का उपयोग किया जाता है।