परिवादी ने बताया कि उसके सौतेले बेटे जीवराज उर्फ बंटी भाटी, उसकी बहू मधु पत्नी जीवराज भाटी व बड़ा बेटा शिवप्रकाश भाटी तथा पोते प्रभात भाटी, आशीष भाटी व पोती प्रतिभा भाटी आए दिन उसके साथ मारपीट करते हैं। जबरदस्ती से मकान से बेदखल करना चाहते हैं।
‘सामाजिक रीति-रिवाज से नाता विवाह किया’
परिवाद में बताया कि पति ज्ञानप्रकाश भाटी ने वर्ष 1985 में पहली पत्नी भंवरी देवी की मृत्यु के बाद सामाजिक रीति-रिवाज से उससे नाता विवाह किया था। उस समय पुत्र शिवप्रकाश, जीवराज व पुत्री आशा थे। तीनों ही पहले वाली पत्नी की संतान थी। इनका बचपन से शिवा देवी ने पाला। सगी माता का प्यार दिया। वर्ष-2018 में ज्ञानप्रकाश की मृत्यु होने पर शिवप्रकाश ने मकान के असली कागजात और पेटी से 11 लाख रुपए निकाल लिए।
उदयपुर में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम, पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी कर रहे संबोधित
‘भरोसे पर खरे नहीं उतरे’
भरोसा दिलाया कि दोनों भाई भरण-पोषण करेंगे। वर्ष 2023 से विपक्षीगण सौतेले बेटे-बहू ने परिवादिया के साथ मारपीट शुरू कर दी। खाना-पीना व भरण पोषण करना बंद कर दिया। आए दिन मकान की लाइटें व नल कनेक्शन भी बंद कर प्रताड़ित करते। इस सम्बंध में कलेक्टर व सुभाषनगर थाने में शिकायत की थी। तत्कालीन कलक्टर नमित मेहता ने न्यायालय उपखण्ड मजिस्ट्रेट को भरण पोषण अधिनियम-2007 में परिवाद दर्ज करने के आदेश दिए। एसडीएम के नोटिस पर विपक्षीगण के अधिवक्ता ने बताया कि शिवा देवी शिवप्रकाश की कुछ नहीं लगती।
कैकेई के आदेश की पालना का दिया उदाहरण
अधिवक्ता मल्होत्रा ने पौराणिक ग्रंथ रामायण में रामचन्द्र भगवान ने सौतेली माता कैकई के आदेश की पालना करते हुए 14 साल का वनवास भोगा था। पीठासीन अधिकारी दिव्य राज सिंह चुण्डावत ने परिवादिया के परिवाद को स्वीकार किया। फैसले में 19 सिंतबर 2024 से विपक्षी दोनों सौतेले बेटों को 2000-2000 रुपए कुल 4000 रुपए प्रतिमाह भरण पोषण देने के आदेश दिए।