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भीलवाड़ा

प्रदेश में ड्रोन उड़ाने पर रोक के चलते खान विभाग ने सर्वे रिपोर्ट की अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ाई

राज्य सरकार ने प्रदेश में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसके चलते खान मालिक अपने खनन क्षेत्र का ड्रोन सर्वे नहीं करवा पा रहे थे। लगातार शिकायतें मिलने के बाद खान निदेशालय ने शुक्रवार को आदेश जारी कर ड्रोन सर्वे रिपोर्ट पेश करने की अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ा दी। इससे पहले तारीख […]

भीलवाड़ाJun 14, 2025 / 09:11 am

Suresh Jain

Due to the ban on flying drones in the state, the Mines Department has extended the period of survey report till 31 December

Due to the ban on flying drones in the state, the Mines Department has extended the period of survey report till 31 December

राज्य सरकार ने प्रदेश में ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा रखा है, इसके चलते खान मालिक अपने खनन क्षेत्र का ड्रोन सर्वे नहीं करवा पा रहे थे। लगातार शिकायतें मिलने के बाद खान निदेशालय ने शुक्रवार को आदेश जारी कर ड्रोन सर्वे रिपोर्ट पेश करने की अवधि 31 दिसंबर तक बढ़ा दी। इससे पहले तारीख 30 जून थी।
खान निदेशालय ने अपने आदेश में ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट प्राप्त होने से पर खनिज विभाग 30 सितंबर 2025 तक देय मांग राशि के संबंध में पट्टाधारी को लिखित में सूचित करेंगे। वही गृह मंत्रालय की ओर से ड्रोन संचालन पर लगी रोक हटाए जाने तक इसमें छूट प्रदान की है। ड्रोन संचालन पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय के निर्देशों के तहत गृह विभाग ने 12 मई 2025 से रोक लगाई थी। इस क्रम में एकमुश्त समाधान योजना के लिए ड्रोन सर्वे करवाकर आकड़े प्रस्तुत करने, ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट प्राप्त होने से पर खनिज विभाग की ओर से पट्टाधारी को लिखित में सूचित किए जाने एवं पट्टाधारी की ओर से देय राशि एकमुश्त अथवा समान मासिक किश्तों में जमा करवाए जाने की समय सीमा बढ़ाई गई है। पट्टाधारी की ओर से देय राशि एकमुश्त अथवा समान मासिक किश्तों में 31 जनवरी 2026 तक जमा करा सकेंगे। एकमुश्त योजना में राशि जमा करानी की तिथि भी 31 जुलाई 2026 तक बढ़ा दी है।
सरकार ने किया था ड्रोन सर्वे अनिवार्य

सरकार ने 24 अक्टूबर 2024 को अधिसूचना जारी कर प्रतिवर्ष एक अप्रेल 25 से खान मालिकों के लिए अपने खनन पट्टा क्षेत्र और उसके बाहर 100 मीटर की परिधि में स्वयं के खर्च पर ड्रोन सर्वे कर वार्षिक रिटर्न के साथ रिपोर्ट पेश करने का प्रावधान किया था। इस रिपोर्ट के बाद ही खनिज विभाग उनका माइनिंग प्लान अनुमोदित करेंगे।
क्यों जरूरी है माइनिंग प्लान

खान एवं भूविज्ञान विभाग की ओर से प्रत्येक पांच साल में खनन पट्टेधारियों से माइनिंग प्लान लिया जाता है जिसमें वे बताते हैं कि किस तरह पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, नियमों की पालना करते हुए सुरक्षित तरीके से खनन करेंगे। एमई-एएमई और भूवैज्ञानिक माइनिंग प्लान की रिपोर्ट तैयार कर एसएमई को सौंपते हैं। एसएमई माइनिंग प्लान अनुमोदित करता है। इसके अलावा प्रत्येक नए खनन पट्टाधारी को माइनिंग प्लान देना होती है। तभी उसे खनन की स्वीकृति मिल पाती है।

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