जिला स्तरीय कमेटी में ट्रस्टी व सदस्य कमेटी में कलक्टर अध्यक्ष व सचिव सीइओ जिला परिषद होंगे। ट्रस्टी राज्यसभा सदस्य, सांसद, सभी विधायक, एमई, एएमई, उप वन संरक्षक, एसई पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन, पीएचईडी, कोषाधिकारी, सीएमएचओ या चिकित्सा अधिकारी सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। खान मालिक संघ के अधिकतम पांच मनोनीत अध्यक्ष, खनन कार्यों से प्रभावित क्षेत्रों के समुदायों के मनोनीत तीन प्रतिनिधि, दो मनोनीत खान श्रमिक, खनन क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन प्रतिनिधि, तकनीकी खनन मनोनीत व्यक्ति, हर विधानसभा से गैर सरकारी मनोनीत सदस्य तथा सरकार से मनोनीत अधिकारी या मनोनीत व्यक्ति ट्रस्टी होंगे। नामित ट्रस्टी कलक्टर की सिफारिश पर नियुक्त होंगे। इनका चयन ग्राम सभा आधार पर होगा। ट्रस्टी का कार्यकाल तीन वर्ष होगा।
यह होंगे ट्रस्ट के निर्णय ट्रस्ट के सभी निर्णय गवर्निंग काउंसिल की बैठक में लिए जाएंगे। गवर्निंग काउंसिल की प्रत्येक बैठक ट्रस्ट की बैठक होगी। सभी निर्णय उपस्थित सदस्यों के बहुमत से लिए जाएंगे। ट्रस्टी, गवर्निंग काउंसिल तथा प्रबंध समिति सरकार के दिशा-निर्देशों पर कार्य करेंगे। ट्रस्ट की साल में कम से कम दो बार बैठक होगी।
प्रबंध समिति का भी गठन ट्रस्ट के मामलों का प्रबंधन एक प्रबंध समिति करेगी। इसके अध्यक्ष कलक्टर व सचिव सीइओ होंगे। इनके अलावा 19 अधिकारी व सदस्य शामिल होंगे। प्रबंध समिति की बैठक प्रत्येक तीन माह में एक बार होगी।
डीएमएफटी का कार्यक्षेत्र सरकार ने डीएमएफटी का कार्यक्षेत्र निधारित किया। इसमें प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (पीएमकेकेकेवाई) तथा राज्य या केन्द्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन तथा ट्रस्ट को प्राप्त होने वाली निधि का उपयोग किया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण के लिए होगा फंड का उपयोग फंड का 70 प्रतिशत उपयोग उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में होगा। इसमें पेयजल आपूर्ति, केंद्रीकृत शुद्धिकरण प्रणाली, जल उपचार संयंत्र, पेयजल वितरण नेटवर्क, पाइप लाइन, पर्यावरण संरक्षण, अपशिष्ट उपचार संयंत्र, नदियों, झीलों, तालाबों, भूजल, अन्य जल स्रोतों के प्रदूषण की रोकथाम, खनन कार्यों और डंपों के कारण होने वाले वायु व धूल प्रदूषण को नियंत्रित करना, खान जल निकासी प्रणाली, खदानों में होने वाले प्रदूषण की रोकथाम, खनन क्षेत्रों की बहाली, सुधार और पुनर्वास, पर्यावरण के संरक्षण के लिए अवैध खनन व परिवहन को रोकने के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचा और प्रदूषण नियंत्रण पर व्यय होगा।