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भीलवाड़ा

जमीन के अभाव में 500 करोड़ का एमओयू अटका

कैसे बने रेडीमेड गारमेंट्स का हब
टेक्सटाइल सिटी में सभी सुविधा, लेकिन जमीन का अभाव

भीलवाड़ाJun 19, 2025 / 09:03 am

Suresh Jain

MOU worth Rs 500 crore stuck due to lack of land

MOU worth Rs 500 crore stuck due to lack of land

टेक्सटाइल सिटी में सब कुछ होने के बावजूद रेडीमेड गारमेंट्स का हब नहीं बन पा रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण जमीन नहीं मिलना या जहां जमीन है वहां उद्यमी जाने को तैयार नहीं हैं। क्योंकि उनकी कीमते कई गुना अधिक हैं। इसके चलते रेडीमेड गारमेंट्स में होने वाला 500 करोड़ का निवेश अटक गया है। जमीन के अभाव में 500 करोड़ की फाइल जयपुर में अटकी पड़ी है।
राज्य सरकार ने जिला व राज्य स्तर पर किए औद्योगिक समिट के तहत भीलवाड़ा के उद्यमी किरण भंडारी ने 500 करोड़ का एमओयू किया था। सरकार ने भी इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया कि भीलवाड़ा में रेडीमेड गारमेंट्स की ओर से उद्यमियों के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन हकीकत यह है कि उद्यमी को जमीन तक नहीं मिल रही है। ऐसे में यह 500 करोड़ का एमओयू खटाई में पड़ गया है।
बांग्लादेश काे फायदा मिलने लगा

उद्यमियों की मानें तो भीलवाड़ा रेडीमेड गारमेंट के क्षेत्र में आगे तो बढ़ रहा है। लेकिन रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री क्लस्टर के रूप में विकसित नहीं हो पा रही हैं। हालांकि बांग्लादेश में उपजे विवाद के बाद भीलवाड़ा को इसका फायदा मिला है। अब देश के कई कौने से यहां रेडीमेड गारमेंट बनाने के काम मिल रहे है।
घोषणा का नहीं मिला फायदा

राज्य सरकार ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद में भीलवाड़ा में टेक्सटाइल व रेडीमेड गारमेंट्स उद्योग का चयन किया है। एक जिला एक उत्पाद नीति-2024 घोषित की गई थी। इसके तहत सरकार उद्योग लगाने के लिए सब्सिडी देगी। इसमें अधिकतम 1 करोड़ रुपए निवेश वाले माइक्रो उद्योगों के लिए प्रोजेक्ट कॉस्ट पर 25 प्रतिशत मार्जिन मनी का प्रावधान किया गया है। यह अधिकतम 15 लाख रुपए होगी। लेकिन इस योजना का फायदा नहीं मिल रहा है।
भीलवाड़ा में हैं अत्याधुनिक मशीनें

टेक्सटाइल क्षेत्र में अत्याधुनिक मशीनों के साथ स्पिनिंग, वीविंग या प्रोसेसिंग यूनिट हैं। स्टीचिंग मशीनों की कीमत 50 हजार से 6 लाख तक है। रेडिमेड गारमेंट उद्योग का वर्तमान में 50 करोड़ रुपए मासिक का टर्नओवर है। वर्तमान में सभी तरह के रेडिमेड गारमेंट्स बनाए जा रहे हैं। इनमें स्कूल यूनिफॉर्म, कॉटन पेंट, फॉर्मल ड्रेस, ट्राउजर, मेडिकल यूनिफॉर्म व जींस प्रमुख है। इस उद्योग में करीब 6000 कारीगर कार्यरत हैं। इनमें करीब 2000 महिलाएं भी शामिल हैं। रेडिमेड उद्योग हमीरगढ़ ग्रोथ सेंटर, चित्तौडग़ढ़ रोड पर रीको फोर्थ फेज में स्थापित हैं।
बडी़ कम्पनियों के मिल रहे ऑर्डर

भीलवाड़ा रेडीमेड उद्योग को वर्तमान में राजस्थान के अलावा अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई व बेंगलूरु तक से ऑर्डर मिल रहे हैं। इसके अलावा रिलायंस, विमल, डी मार्ट, वी मार्ट, डोनियर, रेमंड व सियाराम जैसी कंपनियों के ऑर्डर भीलवाड़ा की रेडीमेड गारमेंट्स की इकाइयों में बन रहे हैं। भीलवाड़ा में सरकार सभी तरह की सुविधा दे तो यह एक रेडीमेड गारमेंट्स क्लस्टर बन सकता है। वर्तमान में 100 से अधिक इकाइयां कार्यरत हैं। इनमें हर माह 20 लाख गारमेंट्स तैयार हो रहे हैं। लेकिन बिजली, पानी व जमीन की समस्या है।
प्रकाश शर्मा, अध्यक्ष, गारमेंट्स मैन्युफैक्चर्स सोसायटी भीलवाड़ा

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