दिल्ली में पार्टी संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए उच्च स्तरीय बैठकें जारी हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश और गुजरात को लेकर रणनीतिक चर्चा हुई। इसमें कई नए प्रस्ताव सामने आए। बैठक में तय हुआ कि दोनों राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project)के रूप में जिला नेतृत्व को मजबूत किया जाए, जिससे पार्टी को नया आधार मिल सके।
बड़े जनाधार वाले नेताओं की कमी
कभी अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, श्यामाचरण शुक्ल और माधवराव सिंधिया जैसे क्षत्रपों ने कांग्रेस को मजबूती दी। बाद में यह जिम्मेदारी कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने निभाई। मगर अब सिंधिया भाजपा में हैं और कमलनाथ-दिग्विजय चुनाव जिताने में असफल साबित हो चुके हैं। वर्तमान में जीतू पटवारी और उमंग सिंघार जैसे नेता पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन इन्हें क्षत्रप नहीं माना जा सकता, क्योंकि वे अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में भी अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सके। ऐसे में कांग्रेस ने नई रणनीति अपनाने का फैसला किया है।
भाजपा की रणनीतिको कैसे करें परास्त?
भाजपा कार्यकर्ताओं के मजबूत संगठनात्मक ढांचे के दम पर लगातार चुनाव जीत रही है। कांग्रेस इसी रणनीति से मुकाबले के लिए हर जिले में एक नेता को पूर्ण अधिकार देने की योजना बना रही है। पार्टी के 1046 ब्लॉक और उपब्लॉक प्रभारियों की तैनाती से पहले जिला प्रमुख नियुक्त किए जाएंगे। हालांकि, यह अभी स्पष्ट नहीं है कि जिला प्रमुख और जिलाध्यक्ष एक ही व्यक्ति होगा या अलग-अलग, लेकिन यह तय है कि जिलाप्रमुख को सबसे ज्यादा अधिकार प्राप्त होंगे।