बैंक कर्मी संगठनों ने बैंक के सभी रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्ति, सभी अस्थाई कर्मियों को नियमित करने, बैंकों में स्थायी नौकरियों की आउटसोर्सिंग बंद करने सहित विभिन्न मांग की है। यूनाइटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियंस मध्य प्रदेश के संयोंजक वी के शर्मा ने बताया कि परफॉर्मेंस रिव्यू और पीएलआई के संबंध में हाल ही में डीएफएस या सरकार के निर्देशों से बैंकिंग क्षेत्र के कर्मियों की नौकरी को खतरा है। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच विभाजन और भेदभाव पैदा हो रहा है।
मैनपावर घटने से बैंकिंग सेवाएं हो रहीं प्रभावित
बैंक कर्मी संगठनों ने कहा कि पिछले 11 साल में देश के सार्वजनिक बैंकों में एक लाख 39 हजार 811 कर्मी घट गए हैं। ये पद्द रिक्त हैं। सरकारी बैंकों में ग्राहकों की सेवा के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। बैंक शाखाओं में कर्मियों की बड़ी कमी के कारण संतोषजनक सेवाएं नहीं मिलने से अनियंत्रित लोगों कर्मियों पर हमला कर देते हैं। इस लिए बैंकों में पर्याप्त संख्या में कर्मियों की नियुक्ति की जाए और कर्मियों की सुरक्षा की व्यवस्था की जाय, ताकि ग्राहकों को संतोषजनक सेवाएं प्रदान की जा सकें और कर्मचारियों पर अनावश्यक कार्यभार कम किया जा सके।बैंककर्मियों की मांग
- सभी संवर्गों में पर्याप्त भर्ती, अस्थायी कर्मचारियों को नियमित करने
- बैंकिंग क्षेत्र में सप्ताह में पांच दिन काम का नियम लागू करने
- परफॉर्मेंस रिव्यू और पीएलआई संबंधित सरकारी निर्देश वापस हो
- अनियंत्रित जनता के हमले से बचाने के लिए बैंक कर्मियों की सुरक्षा
- सरकारी बैंकों में कामगार, अधिकारी और निदेशकों के रिक्त पदों की नियुक्ति
- सरकारी कर्मियों के तर्ज पर 25 लाख रुपए की सीमा बढ़ाने के लिए ग्रेच्युटी अधिनियम में संशोधन