सब ठीक रहा तो यहीं मंजूरी मिलेगी। इसके साथ ही दोनों मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की गठन प्रक्रिया शुरू होगी। इससे भोपाल-इंदौर से जुड़ने वाले 5-5 छोटे शहरों में औद्योगिकीरण व शहरीकरण बढ़ेगा। रोजगार के विकल्प खुलेंगे। बता दें, मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र विकसित करने के लिए कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। सीएम ने 28 अप्रैल को बैठक में अफसरों को डेडलाइन तय कर आगे बढ़ने को कहा था। इसके बाद प्रक्रिया तेज हुई और एक्ट का ड्राफ्ट तकरीबन तय हो गया।
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राजबाड़ा में होने वाली कैबिनेट देवी अहिल्या बाई को समर्पित होगी। उन्होंने जनकल्याण से जुड़े कई काम किए थे, जिन्हें आदर्श माना जाता है। उन्होंने कुटीर उद्योगों के जरिए महिलाओं को सशक्त करना, मंदिरों व घाटों का संरक्षण और किसान हितों में निर्णय लिए। मोहन सरकार कैबिनेट में बैठक में कई कल्याणकारी प्रस्तावों को शामिल कर सकती है। इनमें तीनों बिजली वितरण कंपनियों के लिए 20 हजार से अधिक पद सृजित करने, कर्मचारियों को पदोन्नति संबंधी प्रस्ताव हो सकते हैं।
भोपाल मेट्रोपॉलिटन: इसमें भोपाल, सीहोर, रायसेन, विदिशा, ब्यावरा (राजगढ़) के विकास का खाका। इंदौर मेट्रोपॉलिटन: इसमें इंदौर, उज्जैन, देवास, धार को शामिल किया जाएगा।
भोपाल-इंदौर के बीच होगा विकास का कॉरिडोर
भो पाल-इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र को देशभर में विकास के मॉडल के रूप में बनाने की तैयारी है। दोनों क्षेत्रों के बीच बड़ा इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाना है। यह सड़क, मेट्रो, रेल परिवहन जैसी सुविधाओं से जुड़ा रहेगा। इंदौर-भोपाल के बीच पहले से रोड और ट्रेन की अच्छी कनेक्टिविटी है। इसे और बेहतर किया जाएगा।
ऐसी होगी सुविधाएं
● छोटे शहरों के भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहरों में शामिल होने से विकास बढ़ेगा। सुविधाएं बढ़ेंगी। ● समग्र विकास योजनाएं बनेंगी। सड़क, एकीकृत परिवहन सुविधा, सुरक्षा तंत्र विकसित किए जाएंगे। ● उद्योगों के लिए जोन में बांट कर समग्र नीति के तहत काम होगा। जिलों की पंचायतें, जनपद, नगर परिषद में भी शहरीकरण। ● अस्पताल, स्कूल-कॉलेजों का विकास होगा। मेट्रो रेल जैसी सुविधाओं का विस्तार। भविष्य में इंदौर-भोपाल मेट्रोपॉलिटन में मुंबई मेट्रो जैसी सुविधाएं।