scriptऑपरेशन सिंदूर में भारत की तैयारियों की असली रीढ़: ‘हल्दी घाटी’ और ‘TROPEX 2025’ युद्धाभ्यास | The real backbone of India's preparations for Operation Sindoor: 'Haldighati' and 'TROPEX' exercises | Patrika News
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ऑपरेशन सिंदूर में भारत की तैयारियों की असली रीढ़: ‘हल्दी घाटी’ और ‘TROPEX 2025’ युद्धाभ्यास

Operation Sindoor India: ऑपरेशन सिंदूर भारत के लिए सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई नहीं, बल्कि सेना की हर यूनिट एक ही भाषा बोल रही थी: समन्वय, सटीकता और संकल्प।

भारतMay 18, 2025 / 08:16 pm

M I Zahir

Operation Sindoor Haldi Ghati

भारत ने आतंकी हमले ​के खिलाफ सेन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर चलाया। (फोटो क्रेडिट:पत्रिका)

Operation Sindoor India: भारत की ओर से शुरू​ किए गए ऑपरेशन सिंदूर(Operation Sindoor) की सफलता के पीछे सिर्फ साहस और रणनीति ही नहीं, बल्कि महीनों की गहन तैयारी, हाई-टेक ट्रायल और ट्राई-सर्विस कॉम्बैट समन्वय (Operation Sindoor coordination) भी छिपा था। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने ‘रियल टाइम जॉइंट कम्युनिकेशन (Indian joint military exercise)’ और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता का जो प्रदर्शन किया, वह ‘हल्दी घाटी’ और ‘ट्रॉपेक्स’ जैसे युद्धाभ्यासों से प्राप्त सीख का प्रत्यक्ष परिणाम था। दरअसल 18-21 अप्रैल के बीच ‘हल्दी घाटी ( Haldi Ghati tri-service drill)’ नाम से किया गया त्रि-सेवा युद्ध अभ्यास (‘TROPEX 2025), भारत की थल, वायु और नौसेना के बीच बिना किसी रुकावट के संचार स्थापित करने के लक्ष्य के साथ आयोजित किया गया।

कैसे बनी “कॉम्बैट कोऑर्डिनेशन” भारत की सबसे बड़ी ताकत

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए हमले के तुरंत बाद, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान की अगुवाई में सैन्य मामलों के विभाग ने अभ्यासों से प्राप्त टेक्निकल और ऑपरेशनल फीडबैक को सक्रिय योजना में बदलना शुरू कर दिया था। इसके तहत भारत-पाकिस्तान सीमा के अग्रिम इलाकों में तीनों सेनाओं के संयुक्त वायु रक्षा केंद्र (India Pakistan border defense strategy) स्थापित किए गए, जहां एयर डिफेंस हथियार प्रणाली और कमांड कंट्रोल नेटवर्क को एकीकृत किया गया। इससे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ड्रोन हमलों से तत्काल और समन्वित तरीके से निपटना संभव हो पाया। इसी दौरान, भारतीय नौसेना ने अरब सागर में थिएटर-लेवल युद्धाभ्यास ‘ट्रॉपेक्स’ को अंजाम दिया, जिसमें लगभग सभी अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत शामिल थे। यह रणनीतिक रूप से उस समय हुआ, जब पाकिस्तान समर्थित तत्वों की ओर से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी गतिविधियां तेज हो रही थीं।

भारतीय नौसेना को आक्रामक तैनाती करने की क्षमता मिली

ट्रॉपेक्स अभ्यास के चलते भारतीय नौसेना को अरब सागर में तत्काल और आक्रामक तैनाती करने की क्षमता मिली। परिणामस्वरूप, पाकिस्तान की नौसेना को अपने जहाजों को मकरान तट तक सीमित करना पड़ा। सूत्रों ने बताया कि संबंधित अधिकारियों ने तीनों सेनाओं के बीच निर्बाध संचार तय करने के लिए सफलतापूर्वक परीक्षण किए। वहीं 7 मई को वास्तविक हमले से पहले के समय का उपयोग संचार में संयुक्तता सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से किया गया।

पाकिस्तानी सेना की ओर से किए गए ड्रोन हमलों से निपटने में सहायक रही

उन्होंने बताया कि इस बीच, भारत -पाकिस्तान सीमा के अग्रिम इलाकों में तीनों सेनाओं के संयुक्त वायु रक्षा केंद्र भी स्थापित किए गए, जहां रक्षा बलों की वायु रक्षा हथियार प्रणालियों और कमान व नियंत्रण प्रणालियों को एक साथ लाया गया। एक समान निर्बाध संचार प्रणाली और वायु रक्षा नेटवर्क की सफलता, 7,8 और 9 मई को पाकिस्तानी सेना की ओर से किए गए ड्रोन हमलों से निपटने में सहायक रही। संचार में संयुक्तता से दिल्ली स्थित मुख्यालय में बल कमांडरों को युद्ध क्षेत्र की वास्तविक स्थिति की स्पष्ट तस्वीर प्राप्त करने में भी मदद मिली।

भारतीय नौसेना के सभी अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत अग्रिम स्थानों पर तैनात थे

सूत्रों ने बताया कि अरब सागर में ट्रोपेक्स से भारतीय नौसेना को अरब सागर के हर कोने में तुरंत तैनाती करने में मदद मिली, जिससे पाकिस्तानी नौसेना को अपने जहाजों को मकरान तट के करीब रखने पर मजबूर होना पड़ा। भारतीय नौसेना के सभी अग्रिम पंक्ति के युद्धपोत अग्रिम स्थानों पर तैनात थे और वे कार्रवाई के लिए तैयार थे।

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