मरीज लंबे समय से भोजन निगलने में असमर्थ था और तरल पदार्थों के सहारे जीवन व्यतीत कर रहा था। बोलने में भी उसे कठिनाई हो रही थी। इलाज के लिए वह ललितपुर, झांसी, ग्वालियर और भोपाल के कई अस्पतालों में गए। जांच में पता चला कि आहार नली में कोई कठोर वस्तु-संभवत: दांत-फंसा है।
ग्वालियर में एंडोस्कोपी के बाद विभिन्न अस्पतालों में डॉक्टरों ने बताया कि दांत को निकालने के लिए ऑपरेशन करना पड़ेगा, लेकिन मरीज की उम्र और स्थिति को देखते हुए यह ऑपरेशन जोखिमपूर्ण हो सकता था। इसमें जान का खतरा भी था।
की गई आपातकालीन एंडोस्कोपी
मरीज की बीएमएचआरसी में आपातकालीन एंडोस्कोपी हुई। गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग की विजिटिंग कंसल्टेंट डॉ. तृप्ति मिश्रा के नेतृत्व में एंडोस्कोपी टीम ने यह जटिल प्रक्रिया पूर्ण की और दांत को सुरक्षित निकालने में सफलता प्राप्त की। इस एंडोस्कोपी टीम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अब्दुल राशिद, चिकित्सा अधिकारी डॉ अभय मिश्रा, एंडोस्कोपी सुपरवाइजऱ शिवजी ठाकुर, नर्सिंग ऑफिसर स्मिता सिंह, टेक्नीशियन राकेश सिरमोलिया, कालूराम मीणा, मो. शारिक और ओबैज़ जमाल फार्रुखी थे, जिन्होंने मिलकर इस संवेदनशील प्रक्रिया को सफलतापूर्वक संपन्न किया। सफल एंडोस्कोपी के बाद अब मरीज सामान्य रूप से भोजन कर पा रहा है और बोलने में भी आराम महसूस कर रहा है।
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बीएमएचआरसी की निदेशक प्रभारी डॉ. मनीषा श्रीवास्तव ने कहा कि यह केस चिकित्सकीय सजगता, टीमवर्क और तकनीकी दक्षता का उत्कृष्ट उदाहरण है। बीएमएचआरसी, न केवल गैस पीड़ितों बल्कि ज़रूरतमंद हर मरीज के लिए एक भरोसेमंद केंद्र है।