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रूपम (परिवर्तित नाम) 7 साल का है। उसे लेकर पैरेंट्स मनोवैज्ञानिक के पास पहुंचे। वह किसी से बात नहीं करता था। हर बात पर गुस्सा करता था। जब उसके अभिभावकों से बात की, तो पता चला कि वह पहले ऐसा नहीं था, लेकिन कोरेाना टाइम में मोबाइल(Mobile Addiction) ज्यादा देखा और तब से ज्यादा वक्त मोबाइल पर बिताने लगा। धीरे—धीरे उसने सबसे बात करना बंद कर दिया और केवल मोबाइल ही देखता रहता है। उसे केवल मोबाइल देखकर खुशी मिलती है। अब उसका ट्रीटमेंट चल रहा है।
केस 2 : मोबाइल न मिले तो गुस्सा
आर्यन (परिवर्तित नाम), को उसके पैरेंट ने मनोचिकित्सक को दिखाया। मनोचिकित्सक ने उसे देखा, तो बच्चे में काफी तनाव, गुस्सा नजर आया। बात करने पर पता चला कि वह मोबाइल(Mobile Addiction) की डिमांड करता है और बेहद जिद्दी हो गया है। अगर मोबाइल न मिले, तो वह गाली देने, मारपीट करने से भी गुरेज नहीं करता। जब डॉक्टर ने बात की, तो पता चला कि बच्चा पिछले दो-तीन साल से सात-आठ घंटे का समय मोबाइल पर बिताता है और अब यह आदत एडिक्शन में तब्दील हो गई है। अब उसका इलाज चल रहा है। ऐसे केवल दो मामले नहीं है। बल्कि शहर में ऐसे मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब सावधान रहने की जरूरत है। मोबाइल पर दिन भर गेम खेलना या वीडियो देखना बच्चों के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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पैरेंट्स हमारे पास तब आते हैं, जब कोई दुर्घटना घट जाती है। जो बच्चे आ रहे हैं, उनमें सबसे ज्यादा बच्चे टीनएज हैं, जिनमें मोबाइल एडिक्शन के कारण एग्रेसिव विहेवियर दिख रहा है। यह बच्चे 8 से 10 घंटे मोबाइल पर बिताते हैं। यह पैरेंट्स की जिम्मेदारी है कि ऐसी स्थिति न आने दें, घर में नियम बनाएं। –
डॉ समीक्षा साहू, असिस्टेंट प्रोफेसर साइकेएट्री विभाग, जीएमसी मेडिकल कॉलेज, भोपाल
समय सीमित कर दें
मोबाइल एडिक्शन यानी दिन में दो घंटे से ज्यादा वक्त मोबाइल में बिताना, मोबाइल न मिलने पर रेस्टलेस होना। बच्चों में यह समस्या बढ़ रही है और कारण है मोबाइल ज्यादा देखना। इससे बचने के लिए बच्चों का मोबाइल टाइम सीमित करें। मोबाइल को इनसेंटिव की तरह यानी बच्चे ने कुछ अच्छा किया, तो 10 मिनट के लिए दें। ऐसे यूज करें। – सोनम छतवानी, मनोवैज्ञानिक ये भी पढें –
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- चिड़चिड़ापन
- बात—बात पर गुस्सा
- मोबाइल देखते समय सब कुछ भूल जाना
- पढ़ाई पर असर पड़ना
- अचानक से शांत होना
- मोबाइल न मिलने पर रेस्टलेसनेस फील करना
- बार—बार मोबाइल हाथ में उठाकर उसे देखना
- किसी से बात न करना
- मोबाइल न मिलने पर चीजें फेंकना, मारपीट करना, खुद को नुकसान पहुंचाना
ऐसे करें लत को दूर
- घर में डिसिप्लेन रखें
- पैरेंट्स खुद बच्चों के सामने मोबाइल न देखें
- बच्चों का मोबाइल देखने का एक समय निश्चित करें
- मोबाइल पर वह क्या देख रहे हैं, इसका भी ध्यान रखें
- ऐसे जोन बनाएं, जहां मोबाइल ले जाना मना हो, जैसे खाना खाते वक्त,
- पैरेंट्स बच्चों के साथ खुद वक्त बिताएं
- नोटिफिकेशन ऑफ रखें, ताकि मोबाइल पर ध्यान न जाए
- जब मोबाइल देखने की इच्छा हो, तो ऐसा काम करें, जिससे आपको खुशी मिलती हो