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भोपाल

लाड़ली बहनों के प्रदेश में बेटियां गुम, भोपाल में रोजाना 10 से 15 बच्चे होते हैं लापता

MP News: मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना चल रही है। लड़कियों से जुड़ी कई अन्य योजनाएं भी संचालित हैं। लेकिन यहां बेटियां गुम हो रही हैं। अकेले राजधानी में ही हर दिन पुलिस 10 से 15 बच्चों की लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करती है। इनमें 75 फीसदी लड़कियां होती हैं।

भोपालJun 29, 2025 / 07:58 am

Avantika Pandey

MP News Ladli Behna Yojana

MP News (फोटो सोर्स : पत्रिका)

MP News: मध्यप्रदेश में लाड़ली बहना योजना(Ladli Behna Yojana) चल रही है। लड़कियों से जुड़ी कई अन्य योजनाएं भी संचालित हैं। लेकिन यहां बेटियां गुम हो रही हैं। अकेले राजधानी में ही हर दिन पुलिस 10 से 15 बच्चों की लापता होने की रिपोर्ट दर्ज करती है। इनमें 75 फीसदी लड़कियां होती हैं। 2022 से 2025 के बीच भोपाल में 2000 से अधिक बच्चों के लापता होने के मामले दर्ज हुए। जबकि, मप्र में 11,700 मामले दर्ज हुए। जिनमें 8,844 लड़कियां और 2,873 लडक़े शामिल हैं। इस तरह प्रदेश भर में प्रतिदिन 30 से अधिक बच्चे लापता हो रहे हैं। ऑपरेशन मुस्कान के तहत पुलिस का दावा है कि 70 से 80 प्रतिशत बच्चों को परिवार से मिलाया जाता है।
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प्रदेश में ये स्थिति

2022 से 2025: 11,717 बच्चे गायब

इनमें 8,844 लड़कियां और 2,873 लड़के
भोपाल में 661 बच्चे गायब

इनमें 102 लड़कियां और 225 लड़के

2023 में भोपाल में 581 मामले

2024 में भोपाल में 696 मामले

इस उम्र के बच्चे ज्यादा: लापता बच्चों में अधिकांश की उम्र 12 से 17 साल होती। इनमें से कुछ बच्चे घर की अनुमति के बिना तो कुछ घरेलू तनाव के कारण घर से भाग जाते हैं।

गायब होने की वजह

पुलिस विभाग और चाइल्ड राइट्स एंड यू ने बच्चों के घर से भागने के कई कारण बताए हैं। श्रद्धा तिवारी,डीसीपी हेडक्वार्टर का कहना है कि इनमें से कुछ मामले बाल तस्करी से जुड़े होते हैं। इनमें लड़कियों की संया ज्यादा होती है। घरेलू हिंसा, यौन उत्पीडऩ और बेहतर जीवन की चाह में भी कुछ बच्चे घर से भागते हैं। प्रेम-प्रसंग की वजह से भी कुछ बच्चे घर छोड़ते हैं।
ऑपरेशन मुस्कान के तहत लापता बच्चों के खोजने के लिए टीमें गठित हैं। मामले दर्ज होते ही पुलिस टीम बच्चों की लोकेशन ट्रेस करके खोजती है। अब तक 70 से 80 प्रतिशत बच्चों को सकुशल बरामद किया जा चुका है।श्रद्धा तिवारी, डीसीपी हेडक्वार्टर, भोपाल

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