2012 में किया गया था बर्खास्त
विस सचिवालय कानूनी सलाह ले रहा है। विस के अपर सचिव रहे सत्यनारायण शर्मा को नियम विरुद्ध नौकरी पाने और निर्धारित योग्यता नहीं रखने के आरोप में वर्ष 2012 में बर्खास्त किया गया। उन्होंने विधानसभा सचिवालय के आदेश को चुनौती दी। तभी से मामला कानूनी पेचीदगियों में उलझा था। इनकी नियुक्ति श्रीनिवास तिवारी के विधानसभा अध्यक्ष रहते हुई। 15वीं विधानसभा में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम को आवेदन देकर पिछले विधानसभा कार्यकाल के निर्णय पर पुनर्विचार का आग्रह किया। गौतम नेआवेदन पर विचार पर सुनवाई की, लेकिन कोई प्रशासकीय आदेश जारी नहीं हुआ। फाइल उनके पास ही रही। यह भी पढ़े –
सीएम ने किया बड़ा ऐलान, 468 करोड़ की सिंचाई योजना, हर जिले में बनेगा श्रीकृष्ण का वृंदावन गांव नोटशीट में था ‘नो वर्क नो पे फार्मूला’
तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने अपनी नोटशीट में नो वर्क नो पे का फार्मूला अपनाते हुए इन्हें बहाली का निर्णय लिया। यानी इन्हें बर्खास्तगी के समय का वेतन नहीं दिया जाए। मेरे समक्ष प्रकरण आया था। मैंने विधिवत सुनवाई की। तथ्य और प्रमाण देखने के बाद ही सत्यनारायण शर्मा की सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया था। – गिरीश गौतम, तत्कालीन स्पीकर और देवतालाब से विधायक
चुनाव के बाद सामने आई फाइल
2013 के विधानसभा चुनाव तक मामला फाइलों में रहा। 16वीं विस गठन के बाद विधानसभा सचिवालय को कुछ फाइलें मिली। तर्क दिया कि ये फाइलें तत्कालीन स्पीकर के यहां से आई हैं। इनमें सत्यानारायण शर्मा की फाइल भी थी। सचिवालय ने इसे रिकार्ड में लिया और इस पर तत्कालीन स्पीकर की नोटशीट भी थी, जिसमें शर्मा को बहाल करने का उल्लेख था। मौजूदा स्पीकर नरेन्द्र सिंह तोमर इस मामले में कुछ विचार करते इसके पहले ही मामला कोर्ट में पहुंच गया। हाईकोर्ट ने इसी नोटशीट के आधार पर कहा कि पूर्व स्पीकर के निर्णय का क्रियान्वयन किया जाए।कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए शर्मा की ज्वाइनिंग कराई जाए। कोर्ट के बहाली के आदेश को हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दें।