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भारत में अब ‘तिनका भर’ भी नहीं बिकेगा पाकिस्तानी सामान, मोदी सरकार ने आदेश किए जारी

भारत अब पाकिस्तान के खिलाफ हर मोर्चे पर कड़ा रुख अपनाने को तैयार है। यह कदम न केवल आर्थिक, बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर भी पाक्स्तान को चोट पहुंचाएगा।

भारतMay 03, 2025 / 12:50 pm

Anish Shekhar

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, भारत सरकार ने एक बड़ा और सख्त कदम उठाते हुए पाकिस्तान से आने वाले सभी सामानों के आयात और पारगमन (ट्रांजिट) पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। 2 मई, 2025 को जारी एक अधिसूचना में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले या वहां से निर्यात किए जाने वाले किसी भी सामान का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित होगा। यह निर्णय पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव और भारत के कड़े रुख का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें पहले ही सिंधु जल समझौते को निलंबित करने और राजनयिक संबंधों को कम करने जैसे कदम उठाए जा चुके हैं।

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात पर प्रतिबंध

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि यह प्रतिबंध विदेश व्यापार नीति (FTP) 2023 के पैरा 2.30A के तहत लागू किया गया है। अधिसूचना में उल्लेख है, “पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले या वहां से निर्यात किए जाने वाले सभी सामानों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष आयात प्रतिबंधित है, चाहे वह स्वतंत्र रूप से आयात करने योग्य हो या अन्यथा अनुमति प्राप्त हो। यह प्रतिबंध राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक नीति के हित में तत्काल प्रभाव से लागू होगा।” इस आदेश को विदेश व्यापार (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1992 की धारा 3 के तहत लागू किया गया है, जिसमें केंद्रीय सरकार को आयात-निर्यात पर नियंत्रण का अधिकार है। इस अधिसूचना पर हस्ताक्षर विदेश व्यापार महानिदेशक और भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव अजय भादू ने किए हैं।
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पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव

यह कदम 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए सिलसिलेवार कदमों का हिस्सा है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, और भारत ने इसके लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। हमले के बाद भारत ने कई कड़े कदम उठाए, जिसमें अटारी-वाघा सीमा को बंद करना, पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करना, और 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित करना शामिल है। अब व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर भारत ने पाकिस्तान को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया है।

पाकिस्तान से आयात पर पहले से ही सख्ती

भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापारिक रिश्ते पहले से ही न्यूनतम स्तर पर थे। 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया था और आयात शुल्क को 200% तक बढ़ा दिया था। इसके बाद, पाकिस्तान ने भी भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को सीमित कर दिया था। हाल के वर्षों में, भारत से पाकिस्तान को निर्यात मुख्य रूप से चीनी, कपास, और रसायनों तक सीमित था, जबकि पाकिस्तान से भारत को मुख्य रूप से खजूर, सीमेंट, और चमड़े के उत्पाद आयात किए जाते थे। हालांकि, अब इस नए प्रतिबंध के बाद, पाकिस्तान से किसी भी तरह का सामान, चाहे वह प्रत्यक्ष रूप से आए या किसी तीसरे देश के माध्यम से, भारत में प्रवेश नहीं कर सकेगा।

आर्थिक और रणनीतिक प्रभाव

इस प्रतिबंध का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि भारत एक बड़ा बाजार है, और सीमित व्यापार के बावजूद कुछ वस्तुओं का व्यापार दोनों देशों के बीच होता रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत की ओर से एक रणनीतिक संदेश है, जो पाकिस्तान को आर्थिक और कूटनीतिक रूप से दबाव में लाने का प्रयास है। हालांकि, भारत के लिए भी यह कदम कुछ चुनौतियां ला सकता है, क्योंकि कुछ कच्चे माल और वस्तुओं की आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। फिर भी, सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और नीति के हित में यह कदम जरूरी था।

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