सरकारी अस्पतालों में 3948 पद खाली
प्रदेश में अभी विशेषज्ञों के 3,948 पद खाली हैं। साल के अंत तक यह संख्या चार हजार के पार पहुंच जाएगी। ऐसे में ओपीडी में इलाज के लिए आए मरीजों का इंतजार बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों की कमी से कई मरीजों को निजी अस्पतालों में भी इलाज कराना पड़ रहा है। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विशेषज्ञों के 5,443 पद हैं। इनमें से 1495 विशेषज्ञ पदस्थ हैं। चिकित्सा अधिकारियों के 6513 स्वीकृत पदों में से 3,824 भरे हैं। 2,689 पद खाली हैं। 318 संविदा एनएचएम पीजी चिकित्सक, 1947 एनएचएम संविदा चिकित्सक हैं। अनुबंध एक साल के लिए होता है।
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2025 में संयुक्त संचालक संवर्ग के 10 सीएमएचओ (CMHO), सिविल सर्जन के साथ, जिला स्वास्थ्य अधिकारी संवर्ग के और दो बीएमओ सेवानिवृत्त हो रहे हैं। यह विभिन्न जिलों में प्रशासनिक और प्रबंधकीय कार्य देख रहे हैं। सेवानिवृत्ति के बाद अस्पतालों से इतने डॉक्टर निकलकर इन पदों पर पदोन्नत होकर या प्रभार पर आ जाएंगे। इनमें भी अधिकांश विशेषज्ञ या प्रथम श्रेणी के ही डॉक्टर होंगे।
सेवानिवृत्त होने वाले विशेषज्ञ चिकित्सकों की सूची में 53 में 10 से ज्यादा मेडिकल और ईएनटी स्पेशलिस्ट हैं। इसके अलावा आई, गायनिक, रेडियोलोजिस्ट, सर्जरी, ऑर्थोपेडिक, पैथोलोजिस्ट, शिशु रोग, एनेस्थीशिया आदि के विशेषज्ञ शामिल हैं।
चल रही है भर्ती प्रक्रिया
अभी मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से लगभग एक हजार विशेषज्ञों की भर्ती चल रही है। चयन होने के बाद भी कई डॉक्टर जॉइन नहीं करते या जॉइन करने के बाद सरकारी अस्पतालों के हालात देख नौकरी छोड़ देते हैं। एमपीपीएससी से पिछली बार हुई भर्ती में से भी लगभग 200 डॉक्टरों ने जॉइन नहीं किया था। उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल हाल ही में भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाने इंदौर स्थित MPPSC के दफ्तर पहुंचे थे। उनका कहना है कि प्रदेश में 3 हजार से अधिक डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया जारी है। लेकिन शत प्रतिशत पदों पर कब तक भर्ती होगी, यह बता पाना संभव नहीं है।